कई साल पहले मैंने और मेरे बेटों ने पहाड़ों पर एक जंगल में कैम्पिंग करके कुछ दिन गुज़ारे l
यह स्थान एक टाइगर रिज़र्व था, लेकिन हमने किसी भी अप्रिय मुठभेड़ से बचने के लिए यथासंभव सुरक्षित रहने की कोशिश की l
एक शाम, आधी रात में, मैंने सुना मानो रोहित, मेरा बेटा अपने डेरे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है l मैंने अपनी टोर्च उठाकर उसे चालु कर दिया, इस अपेक्षा से कि वह वास्तविक खतरे में है l
वहाँ, अपने कूबड़ पर सीधा बैठा और हवा में अपने पंजे लहराता हुआ, लगभग 4 इंच “ऊँचा एक चूहा था l उसने मजबूती से अपने दाँतों से रोहित की टोपी पकड़े हुए था l उस छोटे प्राणी ने पूरी ताकत से रोहित की टोपी खींचकर उसके सिर से उतार ली l जब मैं हँसा, वह चूहा टोपी गिराकर रफूचक्कर हो गया l हम वापस अपने तम्बू में चले गए l मैं, हालाँकि, पूरी तरह जागा रहा, और सो न सका और एक और लुटेरा – शैतान – के बारे में सोचता रहा l
शैतान द्वारा यीशु की परीक्षा पर विचार करें (मत्ती 4:1-11) l उसने पवित्रशास्त्र से परीक्षाओं का सामना किया l प्रत्येक उत्तर के साथ, यीशु ने खुद को याद दिलाया कि परमेश्वर ने इस मुद्दे पर बात की थी और इसलिए वह अवज्ञा नहीं करेगा l इससे शैतान भाग गया l
हालाँकि शैतान हमें खा जाना चाहता है, यह याद रखना अच्छा है कि वह उस छोटे क्रितंक(कुतरने वाला जानवर) की तरह रचा गया प्राणी है l यूहन्ना ने कहा, “जो [हममें] है वह उस से जो संसार में है बड़ा है” ( 1 यूहन्ना 4:4) l
प्रिय परमेश्वर, मैं धन्यवादित हूँ कि आप किसी भी परीक्षा से बड़े हैं जो मेरे सामना आती है l कृपया बाहर निकलने का मार्ग बताएँ l