महा वित्तीय संकट के समय में बढ़ते हुए मेरे माता-पिता बच्चों के रूप में अत्यधिक कठिनाई जानते थे l नतीजन, वे कड़ी मेहनत करनेवाले थे और पैसे के कृतज्ञ भंडारी थे l लेकिन वे कभी लालची नहीं थे l उन्होंने अपने चर्च, धर्मार्थ समूहों और ज़रुरतमंदों को समय, प्रतिभा, और खज़ाना दिया l दरअसल, उन्होंने अपना पैसा समझदारी से संभाला और खुशी-ख़ुशी दिया l
यीशु के विश्वासियों के रूप में, मेरे माता-पिता ने प्रेरित पौलुस की चेतावनी को ध्यान में रखा : “जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा और फंदे और बहुत से व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं” (1 तीमुथियुस 6:9) l
पौलुस ने तीमुथियुस को सलाह दी, जो एक धनी शहर, इफिसुस का युवा पास्टर था, जहाँ सब को दौलत लुभाती थी l
पौलुस ने चिताया, “रुपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए बहुतों ने विश्वास से भटककर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है” (पद.10) l
तब, लालच का इलाज क्या है? “परमेश्वर के लिए धनी बनो,” यीशु ने कहा (देखें लूका 12:13-21) l अपने स्वर्गिक पिता से बढ़कर, उसकी सराहना और उसको प्यार करने से, वह हमारा प्रमुख सुख बना रहता है l जैसा कि भजनकार ने लिखा है, “भोर को हमें अपनी करुणा से तृप्त कर, कि हम जीवन भर जयजयकार और आनंद करते रहें” (भजन 90:14) l
प्रतिदिन उसमें आनंदित होना हमें संतोष का अनुभव कराता है, जिससे हम संतुष्ट रहते हैं l काश यीशु हमारे दिल की इच्छाओं से मुक्त करके, हमें परमेश्वर के लिए धनी बना दे!
हे परमेश्वर हमें भोर के समय अपने अक्षय प्रेम से संतुष्ट कर – हमारे लालच के बदले आपके लिए पवित्र भूख से l