“मैं अपनी माँ के साथ इतने लम्बे समय तक रहा कि वह दूसरी जगह रहने चली गयी!” वे पीटर के शब्द थे, जिसका यीशु के प्रति संयम और आत्मसमर्पण करने से पहले का जीवन बहुत अच्छा नहीं था l वह खुलकर स्वीकार करता है कि वह चोरी करके – अपने प्रिय जनों से भी – अपने नशीले पदार्थ के सेवन की आदत का समर्थन करता था l वह अब अपना पुराना जीवन छोड़ चुका है और वह निर्मल होने के वर्षों, महीनों और दिनों को ध्यान में रखते हुए इसका अभ्यास करता है l जब पीटर और मैं नियमित रूप से एक साथ परमेश्वर के वचन का अध्ययन करने के लिए बैठते हैं, तो मैं एक बदले हुए व्यक्ति को देख रहा होता हूँ l 

मरकुस 5:15 एक पूर्व दुष्टात्माग्रस्त व्यक्ति की बात बताता है जो परिवर्तित हो गया था l उसकी चंगाई से पहले, असहाय, आशाहीन, और आततायी वे शब्द हैं जो उसके लिए उपयुक्त लगते हैं (पद.3-5) l लेकिन यीशु द्वारा उसे मुक्त करने के बाद यह सब बदल गया (पद.13) l लेकिन, जैसे पीटर के साथ, यीशु के सामने उसका जीवन सामान्य से बहुत दूर था l उसकी आंतरिक उथल-पुथल जो उसने बाहरी रूप से व्यक्त की थी, आज लोगों के अनुभव के विपरीत नहीं है l कुछ आहात लोग परित्यक्त इमारतों, वाहनों, या अन्य स्थानों में रहते हैं; कुछ अपने घरों में रहते हैं लेकिन भावनात्मक रूप से अकेले हैं l अदृश्य जंजीरें दिलों-दिमाग को इस तरह जकड़ देती हैं कि वे दूसरों से दूरी बना लेते हैं l  

यीशु में, हमारे पास वह व्यक्तित्व है जिस पर हमारे दर्द और अतीत और वर्तमान की शर्म के साथ भरोसा किया जा सकता है l और, जिस तरह दुष्टात्माग्रस्त व्यक्ति और पीटर के साथ, वह उन सभी के लिए दया की खुली बाहों के साथ इंतज़ार करता है जो आज उसके पास आते हैं (पद.19) l