Month: फरवरी 2020

सुन्दरता के लिए समय

कई पश्चिमी देशों में दिसम्बर और जनवरी के सर्दियों के महीने कई हफ़्तों के लिए ठन्डे और नीरस होते हैं : बर्फ के टुकड़ों के बीच से निकलते मटमैले घास, धुंधला आसमान, और कंकाल वृक्ष l यद्यपि, एक दिन कुछ असामान्य रात भर में हुआ l तुषार ने बर्फ के क्रिस्टलों से सभी वस्तुओं पर एक आवरण बना दिया था l बेजान और निराशाजनक परिदृश्य एक सुन्दर दृश्य बन गया था जो सूरज के प्रकाश में चमक रहा था और जिसने मुझे चकाचौंध कर दिया l 

कभी-कभी हम समस्याओं को उस कल्पना के बिना देखते हैं जिससे विश्वास विश्वास होता है l हम उम्मीद करते हैं कि दर्द, डर और निराशा हमें हर सुबह सलाम करेगा, लेकिन कुछ अलग होने की संभावना को नज़रंदाज़ करते हैं l हम परमेश्वर की शक्ति के द्वारा स्वास्थ्यलाभ, वृद्धि या जीत की उम्मीद नहीं करते हैं l फिर भी बाइबल कहती है कि परमेश्वर वह है को मुश्किल समय में हमारी मदद करता है l वह टूटे हुए दिलों को आरोग्य करता है और बंधन से लोगों को मुक्त करता है l वह विलाप करनेवालों के सिर पर “राख दूर करके सुन्दर पगड़ी [बांधता है] . . . हर्ष का तेल [लगाता है] और उनकी उदासी हटाकर यश का ओढ़ना [ओढ़ाता है]” (यशायाह 61:3) l 

ऐसा नहीं है कि परमेश्वर केवल तब ही हमें खुश करना चाहता है जब हमारे पास समस्याएँ हैं l यह है कि वह स्वयं ही परीक्षा के दौरान हमारी आशा है l भले ही हमें असली राहत पाने के लिए स्वर्ग की प्रतीक्षा करने पड़े, परमेश्वर हमारे साथ उपस्थित है, हमें उत्साहित कर रहा है और अक्सर हमें खुद की झलक दे रहा है l हमारे जीवन की यात्रा में, हम संत औगुस्टीन के शब्दों को समझ सकते हैं : “मेरे सबसे गहरे घाव में मैंने आपकी महिमा देखी, और उसने मुझे चकाचौंध कर दिया l”

पूरा ध्यान

प्रोद्योगिकी आज हमारे निरंतर ध्यान देने की मांग करती है l इंटरनेट का आधुनिक “चमत्कार” हमें आने हाथ की हथेली में मानवता की सामूहिक शिक्षा तक पहुँचने की अद्भुत क्षमता प्रदान करता है l लेकिन कई लोगों के लिए, इस तरह की निरंतर पहुँच लागत पर आ सकती है l

हमेशा यह जानने की ज़रूरत कि “वहाँ क्या हो रहा है,” के आधुनिक प्रयोजन का वर्णन करने के लिए हाल ही में “निरंतर आंशिक ध्यान” वाक्याँश तैयार किया गया था जिससे यह निश्चित हो कि हमसे कुछ छूट तो नहीं रहा है l अगर ऐसा लगता है कि यह पुरानी चिंता पैदा कर सकता है, तो आप सही हैं!

यद्यपि प्रेरित पौलुस चिंता के विभिन्न कारणों से जूझ रह था, वह जानता था कि हमारी आत्माएं परमेश्वर में शांति पाने के लिए बाध्य है l यह कारण है कि, नए विश्वासियों को लिखे पत्र में जिन्होंने सताव सहा था (1 थिस्सलुनीकियों 2:14), पौलुस ने उनसे आग्रह करते हुए समाप्त किया कि “सदा आनंदित रहो l निरंतर प्रार्थना में लगे रहो l हर बात में धन्यवाद करो” (5:16-18) l 

“निरंतर” प्रार्थना करना बहुत चुनौतीपूर्ण लग सकता है l लेकिन फिर, हम कितनी बार अपना फोन देखते हैं? कितना अच्छा होता अगर इसके बजाय यह प्रेरणा परमेश्वर से बात करने के लिए उकसाव हो? 

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि काश हम परमेश्वर में निरंतर, प्रार्थनापूर्ण विश्राम के लिए हमेशा “जाननेवालों” में रहने की ज़रूरत का आदान-प्रदान करना सीख जाते? मसीह की आत्मा पर भरोसा करके, जब हम प्रतिदिन आगे बढ़ते हैं हम अपने स्वर्गिक पिता को अपना निरंतर पूर्ण ध्यान देना सीख सकते हैं l