प्रोद्योगिकी आज हमारे निरंतर ध्यान देने की मांग करती है l इंटरनेट का आधुनिक “चमत्कार” हमें आने हाथ की हथेली में मानवता की सामूहिक शिक्षा तक पहुँचने की अद्भुत क्षमता प्रदान करता है l लेकिन कई लोगों के लिए, इस तरह की निरंतर पहुँच लागत पर आ सकती है l

हमेशा यह जानने की ज़रूरत कि “वहाँ क्या हो रहा है,” के आधुनिक प्रयोजन का वर्णन करने के लिए हाल ही में “निरंतर आंशिक ध्यान” वाक्याँश तैयार किया गया था जिससे यह निश्चित हो कि हमसे कुछ छूट तो नहीं रहा है l अगर ऐसा लगता है कि यह पुरानी चिंता पैदा कर सकता है, तो आप सही हैं!

यद्यपि प्रेरित पौलुस चिंता के विभिन्न कारणों से जूझ रह था, वह जानता था कि हमारी आत्माएं परमेश्वर में शांति पाने के लिए बाध्य है l यह कारण है कि, नए विश्वासियों को लिखे पत्र में जिन्होंने सताव सहा था (1 थिस्सलुनीकियों 2:14), पौलुस ने उनसे आग्रह करते हुए समाप्त किया कि “सदा आनंदित रहो l निरंतर प्रार्थना में लगे रहो l हर बात में धन्यवाद करो” (5:16-18) l 

“निरंतर” प्रार्थना करना बहुत चुनौतीपूर्ण लग सकता है l लेकिन फिर, हम कितनी बार अपना फोन देखते हैं? कितना अच्छा होता अगर इसके बजाय यह प्रेरणा परमेश्वर से बात करने के लिए उकसाव हो? 

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि काश हम परमेश्वर में निरंतर, प्रार्थनापूर्ण विश्राम के लिए हमेशा “जाननेवालों” में रहने की ज़रूरत का आदान-प्रदान करना सीख जाते? मसीह की आत्मा पर भरोसा करके, जब हम प्रतिदिन आगे बढ़ते हैं हम अपने स्वर्गिक पिता को अपना निरंतर पूर्ण ध्यान देना सीख सकते हैं l