हमारे घर में दो वर्षों तक एक पालतू मछली(fighter fish) थी l मेरी छोटी बेटी अक्सर झुककर उस टैंक में खाना डालते के बाद उसके साथ बातें करती थी l जब बालवाड़ी में पालतू जानवरों का विषय आया, तो उसने गर्व से दावा किया कि वह उसका है l आखिरकार, मछली मर गयी, और मेरी बेटी दुखित हुयी l
मेरी माँ ने मुझे सलाह दी कि मैं अपनी बेटी की भावनाओं को करीब से सुनूँ और उसे बताऊँ, “परमेश्वर इसके विषय सब कुछ जानता है l” मैं सहमत था कि परमेश्वर सब कुछ जानता है, फिर भी अचंभित हुआ, कि वह तसल्लीबक्श कैसे होगा? तब यह मेरे मन आया कि परमेश्वर केवल हमारे जीवनों की घटनाओं से अवगत ही नहीं है – वह दयापूर्वक हमारी आत्माओं में देखता है और जानता है कि वे हमें कैसे प्रभावित करते हैं l वह समझता है कि हमारी उम्र, पिछले घाव, या संसाधनहीन होने के आधार पर “छोटी चीजें” बड़ी चीजों के समान महसूस हो सकती हैं l
यीशु ने एक विधवा के दान का वास्तविक आकार – और दिल देखा – जब उसने मंदिर के एक दान पेटी में दो सिक्के डाले l उन्होंने बताया कि उसके लिए इसका क्या मतलब है जब उसने कहा, “इस कंगाल विधवा ने सब से बढ़कर डाला है . . . इसने . . . अपनी सारी जीविका डाल दी है” (मरकुस 12:43-44) l
विधवा अपनी स्थिति के विषय शांत थी लेकिन यीशु ने पहचान लिया कि दूसरों ने जिसे एक छोटा दान समझा था वह उस विधवा के लिए बलिदान था l वह हमारे जीवन को उसी तरह से देखता है l काश हम उसकी असीम समझ में आराम पाएँ l
हे परमेश्वर, मुझे पूरी तरह से जानने और मुझे प्यार करने के लिए धन्यवाद l जब मैं अपने जीवन के विषय आपके असीम ज्ञान पर विचार करता हूँ, तो मुझे आपका दिलासा महसूस करने में मदद करें l