लिबरेटर्स(छुड़ानेवाले) ने देखा कि रेवेन्सब्रुक यातना शिवर(Ravensbruck concentration camp) के खंडहरों में यह प्रार्थना मुड़ी हुई पड़ी थी जहां लगभग 50,000 महिलाओं को मौत के घाट उतार दिया गया था : हे प्रभु, केवल नेक इच्छा रखनेवाले पुरुष और महिलाओं को ही नहीं बल्कि बैर रखने वालों को भी याद रखें l परन्तु उस दुःख को याद न करें जो उन्होंने हमें दिए हैं l उन परिणामों को धन्यवाद स्वरुप याद रखें जो हम इस दुःख के द्वारा लाए हैं – हमारी भाईबंदी, हमारी ईमानदारी, हमारी नम्रता, हमारा साहस, हमारी उदारता, हृदय की महानता जो इस दुःख से विकसित हुई है। और जब उनका न्याय होता है, हमारे द्वारा लाए हुए वे परिणाम उनको क्षमा प्रदान करें ।
जिस आतंकित/पीड़ित महिला ने इस प्रार्थना को लिखी है, मैं उसके भय और पीड़ा की कल्पना नहीं कर सकता हूँ। मैं कल्पना नहीं कर सकता कि उसे इन शब्दों को लिखने के लिए किस तरह का अकथनीय अनुग्रह की आवश्यकता पड़ी होगी। उसने सोचने से बाहर किया : उसने अपने पीड़ित करनेवालों के लिए परमेश्वर से क्षमा मांगी।
यह प्रार्थना मसीह की प्रार्थना को प्रतिध्वनित करती है। गलत तरीके से आरोपी बनाए जाने के बाद, लोगों के सामने उनका मज़ाक उड़ाया, पीटा गया, अपमानित किया गया। यीशु “[दो] कुकर्मियों” के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया (लूका 23:33)। विकृत शरीर के साथ खुरदरे क्रूस पर लटका हुआ और सांस लेने के लिए हाफ्ते। मैं उम्मीद करता कि यीशु अपने सताने वालों पर न्याय सुनाता, प्रतिशोध या दिव्य न्याय मांगता। हालाँकि, यीशु ने प्रत्येक मानाव आवेग का विरोध करते हुए प्रार्थना की : हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं” (पद.34) l
वह क्षमा जो यीशु प्रदान करता है असंभव दिखाई देता है, लेकिन वह इसे हमें देता है l अपने दिव्य अनुग्रह में असंभव क्षमा मुफ्त में बहता है l