मेरे पिता और मैं पेड़ों को काटते थे और दो मुठ वाले आरा से उन्हें नाप में काटते थे l युवा और ऊर्जावान होने के नाते, मैंने आरी को काटने के लिए मजबूर करने की कोशिश की l “आराम से कर सकते हो,” मेरे पिता कहते थे l “आरी को काम करने दो l”
मैं फिलिपिन्स में पॉल के शब्दों के विषय सोचता हूँ : “यह परमेश्वर ही है जो आप में काम करता है” (2:13) l आराम से कर सकते हैं l उसे हमें बदलने का काम करने दें l
सी.एस. ल्युईस ने कहा कि मसीह ने जो कहा था उसे पढ़ने और करने की तुलना में विकास कहीं अधिक है l उन्होंने समझाया, “एक वास्तविक व्यक्ति, मसीह, . . . आपके लिए कार्य कर रहा है . . . धीरे-धीरे आपको स्थायी रूप से  . . . एक नए छोटे मसीह में बदल रहा है, एक प्राणी जो . . . उसकी सामर्थ्य, आनंद, ज्ञान और अनंतता में भागीदारी करता है l
परमेश्वर आज उस प्रक्रिया को पूरा कर रहा है l यीशु के चरणों में बैठें और जो कुछ वह कहना चाहता है उसे ग्रहण कर लें  l प्रार्थना करें l “अपने आप को परमेश्वर के प्रेम में बनाए रखें” (यहूदा 1:21), खुद को दिन भर याद दिलाते रहें कि आप उसके हैं l इस आश्वासन में विश्राम करें कि वह धीरे-धीरे आपको बदल रहा है l
“लेकिन क्या हमें धार्मिकता की भूख और प्यास नहीं लगनी चाहिये? आप पूछेंगे l मन में कल्पना करें कि एक छोटा बच्चा एक ऊंचे ताखे पर से एक उपहार उठाने का प्रयास कर रहा है, प्राप्त करने की इच्छा के साथ उसकी आँखें चमक रही हैं l उसके पिता उसकी इच्छा को भांपते हुए, उपहार को उतार कर उसे दे देता है l
कार्य परमेश्वर का है; आनंद हमारा है l आराम से कर सकते हैं l हम किसी दिन वहां पहुँचेंगे l