यह रात का समय था जब अगुआ घोड़े पर सवार होकर काम का निरीक्षण करने निकल पड़ा जो उसके आगे धरा था l जब वह अपने चारों ओर विनाश का दौरा कर रहा था, तो उसने देखा कि शहर की दीवारें नष्ट हो गयीं थीं और फाटक जो जले हुए थे l कुछ क्षेत्रों में, बहुत अधिक मलबे के ढेर उसके घोड़े को आगे बढ़ने में मुश्किल कर दिए l दुखी होकर, घुड़सवार घर की ओर मुड़ गया l

जब शहर के अधिकारीयों से हानि बताने का समय आया, वह इस तरह बताना आरम्भ किया, “तुम आप देखते हो कि हम कैसी दुर्दशा में हैं” (नहेम्याह 2:17) l उसने बताया कि नगर खंडहर हो गया था, और नगर को सुरक्षित रखने वाले नगर की दीवारें बेकार हो गयीं थीं l

परन्तु उसने एक कथन कहा जिससे परेशान नागरिक उत्साहित हो गए : फिर मैंने उनको बतलाया, कि मेरे परमेश्वर की कृपादृष्टि मुझ पर कैसे हुई l” तुरन्त, लोगों ने उत्तर दिया, “आओ हम कमर बांधकर बनाने लगें” (पद.18) l

और उन्होंने किया l

परमेश्वर में भरोसा रखकर और सम्पूर्ण प्रयास के साथ, शत्रु के विरोध और प्रगट रूप से असंभव कार्य के बावजूद, यरूशलेम के लोग – नहेम्याह के नेतृत्व में – मात्र बावन दिनों में दीवार को पुनर्निर्मित कर दिया (6:15) l

जब आप अपनी परिस्थितियों पर विचार करते हैं, क्या कुछ है जो मुश्किल लगता है लेकिन आपको पता है कि परमेश्वर आपसे चाहता है कि आप करें? एक पाप जिससे आप छुटकारा पा नहीं सक रहे है? एक रिश्ता में दरार जिससे परमेश्वर को आदर नहीं मिल रहा है? उसके लिए कोई कार्य जो बहुत कठिन लगता है?

परमेश्वर से मार्गदर्शन मांगें (2:4-5), समस्या का विशलेषण करें (पद.11-15), और परमेश्वर के हस्तक्षेप को पहचाने (पद.18) l उसके बाद पुनर्निर्माण आरम्भ करें l