कई बड़े पेड़ हैं जो 500 साल या उससे अधिक पुराने हैं l उनकी जवानी में, उनकी घुमावदार शाखाएं ऊंची और फैली हुयीं थीं l ठंडी हवा उनकी हरी पत्तियों से खड़खड़ाहट की आवाज़ निकालती है, और पत्तियों के बीच में हवा से बनी जगह से सूरज झांकता है, जिससे पत्तियों की छतरियों के नीचे छाया में प्रकाश की नृत्य करने वाली झलक दिखाई देती है l लेकिन भूमि की सतह के नीचे उनकी असली भव्यता है – उनकी जड़ प्रणाली l पेड़ की मुख्य जड़ लम्बवत बढ़ती है, जो पोषण की एक भरोसेमंद आपूर्ति हासिल करती है l उस मूसला जड़ से, जड़ों की एक बड़ी संख्या क्षितिज के सामानांतर दिशा में फैलकर पेड़ों को आजीवन नमी और पोषक तत्व आपूर्ति करते हैं l यह जटिल जड़ प्रणाली अक्सर पेड़ की तुलना में अधिक बड़े पैमाने पर बढ़ती है, और यह धड़ को स्थिर करने के लिए एक जीवन रेखा और एक लंगर के रूप में समर्थन और सेवा करती है l

इन विशाल पेड़ों की तरह, हमारे जीवन का अधिकाँश विकास सतह के नीचे होता है l जब यीशु ने अपने चेलों को बीज बोने वाले के दृष्टान्त के बारे में बताया, तो उसने पिता के साथ एक निजी रिश्ते में मजबूती से लगाए जाने के महत्व पर ज़ोर दिया l जब हम परमेश्वर के ज्ञान में बढ़ते हैं, जैसे कि शास्त्रों के माध्यम से पता चलता है, हमारे विश्वास की जड़ें उसकी आत्मा द्वारा जीवित रखी जाती हैं l परमेश्वर अपने अनुयायियों को हमेशा बदलने वाली परिस्थितियों, परीक्षाओं, सताव और चिंता में भी उन्नति करने में मदद करता है (मत्ती 13:18-23) l

हमारा प्रेमी पिता अपने वचन से हमारे हृदयों को पोषण देता है l जैसा कि उसकी आत्मा हमारे चरित्र को बदल देती है, वह सुनिश्चित करता है कि हमारे गहरे विश्वास का फल हमारे आसपास के लोगों के लिए जाहिर जो जाए l