“बायीं ओर के सभी लोग, मजबूती से तीन बार आगे की ओर पतवार चलाएँ!” हम लोगों का  मांझी गाइड चिल्लाया l बायीं ओर वालों ने ताकत लगायी, और हमारे बेड़े को उस अशांत भँवर से खींच लिया l कई घंटों तक, हमने अपने गाइड के निर्देशों को सुनने का महत्व सीखा था l उसकी स्थिर आवाज़ ने बहुत कम नौका चलाने के अनुभव वाले छह लोगों को एक प्रचंड नदी में साथ मिलकर सबसे सुरक्षित जल मार्ग बनाने में कामयाबी दी l

जीवन का अपना मुसीबतों का भी हिस्सा है, क्या यह नहीं है? एक पल, यह सहज नौकायन है l फिर सहसा, हम अचानक खतरों से बचने के लिए पागल की तरह पैर मार रहे होते हैं l वह तनावपूर्ण क्षण हमें एक कुशल मार्गदर्शक के लिए हमारी ज़रूरत के बारे में जागरूक बनाते हैं, एक विश्वसनीय आवाज़ जो हमें अशांत समयों को पार करने मदद करती है l

भजन 32 में, परमेश्वर वह आवाज़ बनने की प्रतिज्ञा करता है : “मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूँगा” (पद.8) l इससे पहले, हम देखते हैं कि अपने पापों को मान लेना (पद.5) और प्रार्थनापूर्वक उसे ढूँढना (पद.6) उसकी सुनने की भी भूमिका निभाते हैं l फिर भी, मैं इस वास्तविकता में आराम पाता हूँ कि परमेश्वर प्रतिज्ञा करता है, “मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूँगा और सम्मत्ति दिया करूँगा”(पद.8), एक ताकीद कि उसका मार्गदर्शन उस प्रेम के कारण है l इस अध्याय के अंत के निकट, भजनकार इस तरह समाप्त करता है, “जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करुणा से घिरा रहेगा” (पद.10) l और जब हम उस पर भरोसा करते हैं, हम उसके इस प्रतिज्ञा में आराम पाते हैं कि वह जीवन के सबसे चट्टानी पथों में हमारा मार्गदर्शन करेगा l