एक प्रचंड आँधी हमारे नये शहर से होकर गुजरी, परिणामस्वरूप जो उमस और अँधकारमय आसमान छोड़ गयी l मैं अपने कुत्ते, जिमी को टहलाने ले गयी l मेरे परिवार का देश के एक हिस्से से विपरीत दिशा में दूसरे हिस्से में जाने की बढती चुनौतियाँ मेरे मन में भारी होती जा रही थी l अनगिनत तरीकों से निराश होकर चीजें हमारी उच्च आशाओं और अपेक्षाओं से बहुत दूर चली गई थीं l मैंने जिमी को घास का गंध लेने के लिए धीमा कर दिया l मैंने उस नाले की बात सुनी जो हमारे घर के पास बहता है l नाले के किनारे पर जंगली फूलों के बढ़ते हुए भागों पर छोटी-छोटी ज्योतियाँ चमक जाती थीं l जुगनू l

प्रभु ने मुझे शांति में लपेट लिया जब मैंने टिमटिमाती हुई रोशनी को अँधेरे को चीरते हुए देखा l मैंने भजनकार दाऊद को गाते हुए कल्पना की, “तू ही मेरे दीपक को जलाता है” (भजन 18:28) l यह घोषणा करते हुए कि परमेश्वर अपने अंधकार को प्रकाश में बदल देता है, दाऊद ने प्रभु के प्रावधान और सुरक्षा में विश्वास का प्रदर्शन किया (पद.29-30) l जीवित परमेश्वर पर सभी परिस्थितियों में उसके साथ रहने का विशवास करते हुए, दाऊद ने राष्ट्रों एक बीच उसकी प्रशंसा करने का वादा किया (पद.36-49) l

चाहे हम जीवन में अप्रत्याशित तूफानों को सहन कर रहे हों या बारिश के बीत जाने के बाद की शांति का आनंद ले रहे हों, परमेश्वर की निरंतर उपस्थिति की शांति हमारे रास्ते को अँधेरे में रोशन करती है l हमारा जीवित परमेश्वर हमेशा हमारी शक्ति, हमारा आश्रय, हमारा संभालनेवाला और हमारा उद्धारकर्ता रहेगा l