डिजिटल स्वर की मधुरता पर, हम सभी छह जन हरकत में आ गए l कुछ ने जूते पहन लिए, दूसरे नंगे पाँव दरवाजे की ओर दौड़े l पल भर में हम सभी तेजी से नीचे दौड़ते हुए सड़क पर आइसक्रीम के ट्रक का पीछा कर रहे थे l यह गर्मी के मौसम का पहला गर्म दिन था, और ठन्डे, मीठे दावत(treat) के साथ जश्न मनाने का इससे अच्छा तरीका नहीं था! ऐसे चीजें हैं जो हम आनंद के कारण करते हैं, अनुशासन या दायित्व के कारण नहीं  l

मत्ती 13:44-46 में पाए गए दृष्टान्तों की जोड़ी में, कुछ पाने के लिए सब कुछ बेचने पर बल दिया गया है l हम सोचते होंगे कि ये कहानियां त्याग के विषय है l लेकिन वह बात नहीं है l वास्तव में, पहली कहानी यह घोषणा करती है कि यह “आनंद” था जिसके कारण उस आदमी को सब कुछ बेचकर खेत खरीदना पड़ा l आनंद परिवर्तन लाता है – अपराध बोध या फ़र्ज़ नहीं l

यीशु हमारे जीवनों का एक खण्ड नहीं है; उसका पूरा दावा हम पर है l कहानियों में दोनों पुरुषों ने “सब कुछ” बेच दिया (पद.44) l लेकिन यहाँ पर सबसे अच्छा हिस्सा है : सब कुछ बेचने का वास्तविक परिणाम लाभ है l शायद हमने अनुमान नहीं लगाया होगा l क्या मसीही जीवन क्रूस उठाने के विषय नहीं है? हाँ l यह है l लेकिन जब हमारी मृत्यु होती है, हम जीते हैं ; जब हम अपना जीवन खो देते हैं, तो हम इसे पा लेते हैं l जब हम “सब कुछ बेच देते है,” हम सबसे बड़ा धन पाते हैं : यीशु! आनंद ही कारण है; समर्पण प्रत्युत्तर है l

यीशु को जानना इनाम है l