सू डाँगपो(Su Dongpo) चीन के सबसे बड़े कवियों और निबंधकारों में से एक थे l निर्वासन में और पूर्णिमा के चाँद को एक टक देखते हुए, उन्होंने यह वर्णन करने के लिए एक कविता लिखी कि वे अपने भाई को कितना याद कर रहे हैं l वे लिखते हैं, “हम आनंद करते और शोक करते हैं, इकठ्ठा होते और अलग होते हैं, जब चाँद बढ़ता और घटता रहता है l बीते समयों से, कुछ भी सम्पूर्ण नहीं रहता l काश हमारे प्रियजन लम्बी आयु पाएं, और हज़ारों मील एक दूसरे से दूर रहने के बावजूद इस खूबसूरत दृश्य को देखते रहें l”

उनकी कविता में सभोपदेशक की पुस्तक की विषय-वस्तु पायी जाती है l लेखक, जो उपदेशक  के रूप में जाना जाता है (1:1), ने ध्यान दिया कि “रोने का समय, और हँसने का भी समय . . . गले लगाने का समय, और गले लगाने से रुकने का भी समय है” (3:4-5) l दो विपरीत गतिविधियों को जोड़कर, उपदेशक, इस कवि की तरह, यह सुझाव देता कि आखिरकार सभी अच्छी चीजों का अंत होगा l

जैसा कि चीनी कवि ने चाँद के बढ़ने और घटने को एक और संकेत के रूप में देखा, कि कुछ भी सम्पूर्ण नहीं है उसी प्रकार उपदेशक ने भी परमेश्वर के संसार में संभावित क्रम के निर्माण में देखा जो उन्होंने बनाया था l परमेश्वर घटनाओं की देख-रेख करता है, और “उसने सब कुछ ऐसा बनाया कि अपने अपने समय पर वे सुन्दर होते हैं” (पद.11) l

जीवन अप्रत्याशित हो सकता है और कभी-कभी दर्दनाक अलगाव से भरा हो सकता है, लेकिन हम उत्साहित हो सकते हैं कि सब कुछ परमेश्वर की निगाह में है l हम जीवन का आनंद ले सकते हैं और क्षणों को संजो सकते हैं – अच्छे और बुरे – हमारे प्रिय परमेश्वर हमारे साथ हैं l