गौरव के साथ मेरी बातचीत के बाद, मैं सोचने लगा कि क्यों उसका पसंदीदा अभिवादन “मुट्ठी टकराना” था और हाथ मिलाना नहीं l हाथ मिलाने से उसकी कलाई पर लगे दाग़ दिखाई देने लगेंगे – जो उसके खुद को नुक्सान पहुंचाने की कोशिशों का नतीजा है l हमारे लिए अपने घावों को छिपाना असामान्य नहीं है – बाहरी या भीतरी – दूसरों के कारण या आत्म-प्रेरित l
गौरव के साथ मेरी बातचीत के मद्देनज़र, मैंने यीशु के शारीरिक दागों के बारे में सोचा, उसके हाथों और पैरों में ठोंकी गयी किलों के घाव और उसके पंजर में भला बेधा गया l अपने दाग़ छुपाने के बजाय, मसीह ने उनकी ओर ध्यान आकर्षित किया l
थोमा के पहले शक करने पर कि यीशु मृतकों में से जी उठा है, उसने उससे कहा, “अपनी ऊंगली यहाँ लाकर मेरे हाथों को देख और अपना हाथ लाकर मेरे पंजर में डाल, और अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो” (यूहन्ना 20:27) l जब थोमा ने अपने लिए उन निशानों को देखा और मसीह के अद्भुत शब्दों को सुना, तो उसे यकीन हो गया कि यह यीशु है l उसने विश्वास में कहा, “हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर!” (पद.28) l यीशु ने तब उन लोगों के लिए एक विशेष आशीष उच्चारित किया, जिन्होंने उसे या उसके शारीरिक घावों को नहीं देखा था, लेकिन अभी भी उस पर विशवस करते है : “धन्य हैं वे जिन्होंने बिना देखे विश्वास किया” (पद.29) l
किन परिस्थितियों ने आपको विश्वास करने के लिए अगुवाई की कि यीशु के दाग़ आपके लिए थे? यदि आपने अपने पापों की क्षमा के लिए उस पर विश्वास नहीं किया है, तो आज कौन सी बात उस पर भरोसा करने से आपको रोकती है?
हे पिता, मैं विश्वास करता हूँ कि मसीह के दाग़ मेरे पाप के लिए थे l मैं शुक्रगुजार हूँ!