बच्चों के एक संगीत प्रस्तुति पर, मैंने एक शिक्षक और एक छात्र को एक पियानों के सामने बैठते देखा l उनका युगल गीत शुरू होने से पहले, शिक्षक झुक कर कुछ अंतिम मिनटों के निर्देशों को फुसफुसाया l जैसे ही संगीत वाद्ययंत्र से प्रवाहित हुआ, मैंने देखा कि छात्र ने एक सरल धुन बजाया, जबकि शिक्षक की संगत ने गीत में गहराई और अतिशोभा जोड़ दी l रचना के अंत के निकट, शिक्षक ने अपनी सहमति का इशारा किया l

यीशु में हमारा जीवन एक एकल प्रदर्शन की तुलना में ज़्यादातर युगल गीत की तरह है l कभी-कभी, हालाँकि, मैं भूल जाता हूँ कि वह “मेरे बगल में बैठा है,” और यह केवल उसकी सामर्थ्य और मार्गदर्शन से है कि मैं “बजा सकता हूँ l मैं अपने दम पर सभी सही तानों’ को बजाने की कोशिश करता हूँ – अपनी ताकत में परमेश्वर की आज्ञापालन करना चाहता हूँ, लेकिन इसका अंत आमतौर पर नकली और खोखला लगता है l मैं अपनी सीमित क्षमता के साथ समस्याओं को सँभालने की कोशिश करता हूँ लेकिन इसका परिणाम अक्सर दूसरों के साथ मतभेद होता है l

मेरे शिक्षक की उपस्स्थिति सम्पूर्ण फर्क डालती है l जब मैं अपनी सहायता के लिए यीशु पर भरोसा करता हूँ, तो मैं अपने जीवन को ईश्वर के प्रति अधिक सम्मानजनक पाता हूँ l मैं ख़ुशी से सेवा करता हूँ, स्वतंत्र रूप से प्यार करता हूँ, और आश्चर्यचकित हूँ जब परमेश्वर मेरे रिश्तों को आशीष देता हैं l यह उसी प्रकार है जैसे यीशु ने अपने पहले शिष्यों से कहा था, “जो मुझ में बना रहता है और मैं उसमें, वह बहुत फल फलता है” (यूहन्ना 15:5) l

हर दिन हम अपने अच्छे शिक्षक के साथ एक युगल गीत गाते हैं – यह उसकी कृपा और सामर्थ्य है जो हमारे आध्यात्मिक जीवन का माधुर्य है l