मुझे यकीन है कि हम में से कई बच्चे खेलते समय साबुन के “बुलबुले” उड़ा चुके हैं l  इन बड़े और छोटे अर्धपारदर्शी पोलकों को चमकते हुए हवा में तैरते देखना एक परम आनंद है l ये मंत्रमुग्ध करने वाले “बुलबुले” केवल सुंदर नहीं हैं, लेकिन वे हमें जीवन के बारे में याद दिलाते हैं जो एक छोटी सी अनिश्चितता है l

हम कई बार महसूस कर सकते हैं कि हम “बुलबुले” में रह रहे हैं, अनिश्चित है कि हमारे पास जीवन की दौड़ में प्रतिस्पर्धा करने या खत्म करने के लिए क्या है l जब हम ऐसा महसूस कर रहे होते हैं, तो यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि यीशु में हम अपनी नियति के विषय अनिश्चित नहीं हैं l परमेश्वर के बच्चों के रूप में,  उसके राज्य में हमारा स्थान सुरक्षित है (यूहन्ना 14: 3) l हमारा विश्वास उसी से निकलता है जिसने यीशु को “आधारशिला” चुना है, जिस पर हमारा  जीवन निर्मित है, और उसने हमें “जीवित पत्थर” होने के लिए चुना जो परमेश्वर की आत्मा से भरा हुआ है,  ऐसे लोग बनने में सक्षम जैसे परमेश्वर की इच्छा थी (1 पतरस 2:5-6) l

मसीह में, हमारा भविष्य सुरक्षित है जब हम उसमें आशा रखते हैं और उसका अनुसरण करते हैं (पद.6) l क्योंकि “[हम] एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की) निज प्रजा [हैं], इसलिए कि जिसने [हमें] अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट [करें[“ (पद.9) l

यीशु के निगाहों में हम “बुलबुले पर” नहीं हैं l हम “चुना हुआ और बहुमूल्य” हैं (पद.4) l