1947 में हुए बंटवारे के बाद से भारत और पाकिस्तान कई सालों से एक-दूसरे के साथ विवादों में रहे हैं, हालांकि हर शाम किसी दूसरे के विपरीत झंडा उतारने
की रस्म को वाघा बॉर्डर पर देखा जा सकता है l धूमधाम और भव्यता के साथ, यह अत्यधिक नृत्य शैली (choreografted) में आयोजित दस्तूर दोनों देशों के सैन्यकर्मियों के एक तेज सलामी के साथ समाप्त होती है, और एक दोस्ताना हाथ मिलाने वाले मित्रवत संबंधों को दर्शाता है l संघर्ष के वर्षों और तीन बड़े युद्धों के बावजूद यह दैनिक बातचीत इन दोनों देश के पुरुषों के लिए एक-दूसरे के साथ सौहार्दपूर्वक सामना करने का एक अवसर है, हालांकि वे अपनी राष्ट्रीय सीमाओं से अलग हैं l
कुरिन्थुस में विश्वासियों ने अपने मुख्य सार्वजनिक मार्ग में सीमारेखा नहीं खींची होगी, लेकिन वे विभाजित थे l वे उन लोगों के प्रति अपनी निष्ठा के परिणामस्वरूप झगड़ रहे हैं जिन्होंने उन्हें यीशु के बारे में सिखाया था : पौलुस, या अपुल्लोस, या कैफा(पतरस) l पौलुस ने उन सभी को “एक ही मन और एक ही मत” होकर चलने के लिए कहते हुए (1 कुरिन्थियों 1:10), उनको यह याद दिलाया कि यह मसीह ही है जो उनके लिए क्रूस पर चढ़ाया गया, न कि उनके आध्यात्मिक अगुए l
हम आज भी वैसा ही व्यवहार करते हैं, क्या यह सच नहीं है? हम कभी-कभी उन लोगों का भी विरोध करते हैं, जो विशिष्ट रूप से हमारे महत्वपूर्ण विश्वास को साझा करते हैं – जो उन्हें सहयोगी के बजाय उन्हें प्रतिद्वंद्वी बनाते हैं l जैसे मसीह स्वयं विभाजित नहीं है, हम, उसके सांसारिक प्रतिनिधि के रूप में – उसका शरीर हैं – हमें असहमतियों को महत्वहीन बातों पर हमें विभाजित करने की अनुमति नहीं देना है l इसके बजाय, हम उसमें अपनी एकता का उत्सव मानाएं l
महत्वहीन आत्मिक मामलों में क्या आपके द्वारा विभाजन को अनुमति देने की संभावना है? इसके बजाए आप एकता को कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं?
हे परमेश्वर, आप पर एवं अपने लोगों के लिए आपके बलिदान पर ध्यान केन्द्रित करने में मेरी मदद कर l मैं कम महत्वपूर्ण मुद्दों से विचलित न होऊँ, लेकिन दूसरों को विश्वास के समुदाय के रूप में एकता के लिए बुला सकूँ l