प्रोत्साहन का दिन
आपदा के समय अग्रणी पंक्ति में रहकर सबसे पहले प्रत्युत्तर देने वाले हर दिन समर्पण और साहस प्रगट करते हैं l 2001 में न्यू यॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आक्रमण में जब हज़ारों लोग मारे गए या घायल हुए, चार सौ से अधिक आपातकालीन कार्यकर्ता भी अपनी जान से हाथ धो बैठे थे l सबसे पहले प्रत्युत्तर देनेवालों के सम्मान में, अमेरिकी सरकार ने सितम्बर 12 को राष्ट्रीय प्रोत्साहन दिवस नामित किया l
जबकि यह अनूठा महसूस हो सकता है कि कोई सरकार राष्ट्रीय प्रोत्साहन दिवस घोषित करेगी, प्रेरित पौलुस ने अवश्य ही सोचा कि यह एक कलीसिया की उन्नति के लिए अनिवार्य था l उसने थिस्स्लुनिके की युवा कलीसिया की सराहना की, “कायरों को ढाढ़स दो, निर्बलों को सम्भालो, सब की ओर सहनशीलता दिखाओ”(1 थिस्सलुनीकियों 5:14) l यद्यपि वे सताव सह रहे थे, पौलुस ने विश्वासियों को “सदा भलाई करने पर तत्पर [रहने], आपस में और सब से भी भलाई ही की चेष्टा [करने] के लिए उत्साहित किया (पद.15) l वह जानता था कि मनुष्य के रूप में, वे निराशा, स्वार्थ और संघर्ष के लिए ग्रस्त होंगे l लेकिन वह यह भी जानता था कि वे परमेश्वर की मदद और ताकत के बिना एक दूसरे का उन्नति नहीं कर पाएंगे l
आज चीजें अलग नहीं हैं l हम सभी को उन्नति करने की ज़रूरत है, और हमें अपने आसपास के लोगों के लिए भी ऐसा करने की आवश्यकता है l फिर भी हम इसे अपने बल पर नहीं कर सकते l यही कारण है कि पौलुस का प्रोत्साहन है कि “तुम्हारा बुलानेवाला सच्चा है, और वह ऐसा ही करेगा”(पद.24) कितनी निश्चयता देनेवाला है l उसकी मदद से, हम हर दिन एक दूसरे को प्रोत्साहित कर सकते हैं l
मरुभूमि में आग
1800 के दशक के अंतिम हिस्से में अमेरिका में एक मरुभूमि में सवारी करते समय, जिम वाइट ने धूएँ का एक विचित्र बादल भँवर की तरह आकाश की ओर उठते देखा l जंगल की आग समझते हुए, वह युवा चरवाहा उसके श्रोत की ओर बढ़ा, केवल यह जानने के लिए कि वह “धूँआ” चमगादड़ों का एक बड़ा झुण्ड था जो धरती में एक छेद से निकल रहा था l जिम गुफाओं की एक विशाल और शानदार प्रणाली में पहुँच गया जो बाद में एक प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण बन गया l
जैसा कि एक मध्य पूर्वी रेगिस्तान में मूसा भेड़-बकरियों को चरा रहा था, उसने भी एक अजीब नज़ारा देखा, जिसने उसका ध्यान खींचा – एक धधकती हुई झाड़ी, जो जल कर भस्म नहीं हो रही थी (निर्गमन 3:2) l जब परमेश्वर ने झाड़ी में से बात की, तो मूसा ने महसूस किया कि वह पहले की तुलना में कहीं अधिक वैभवशाली प्राप्त कर लिया था l प्रभु ने मूसा से कहा, “मैं तेरे पिता का परमेश्वर, अब्राहम का परमेश्वर . . . हूँ” (पद.6) l परमेश्वर गुलाम बनाए हुए लोगों को छुटकारा और उन्हें अपने बच्चों (पद.10) के रूप में उनकी असली पहचान देना चाहता था (पद.10) l
छह सौ साल से भी पहले, परमेश्वर ने अब्राहम से यह वादा किया था : “भूमंडल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएंगे” (उत्पत्ति 12:3) l मिस्र से इस्राएल का निकलना, उस आशीष में केवल एक कदम था – अब्राहम का वंश, उद्धारकर्ता(Messiah), के द्वारा अपनी सृष्टि को बचाने की योजना l
आज हम उस वरदान का लाभ उठा सकते हैं, क्योंकि परमेश्वर सभी को यह बचाव प्रदान करता है l मसीह समस्त संसार के पापों के लिए मर गया l उस पर विशवास करके, हम भी जीवित परमेश्वर की संतान बन जाते हैं l
उनके संगीत की रचना
संगीत मण्डली निदेशक एरिआने एबेला ने अपने बचपन को अपने हाथों पर बैठकर बिताया – वह उन्हें छिपाना चाहती थी l जन्म से ही दोनों हाथों की ऊँगलियों के नहीं होने या एक साथ जुड़े होने के साथ-साथ, उसके पास बाँया पैर और उसके दाहिने पैर के पंजे नहीं थे l एक संगीत प्रेमी और उच्चतम स्वर(soprano) के साथ, उसने स्मिथ कॉलेज में शासन प्रणाली में विशिष्टता हासिल करने की योजना बनायीं थी l लेकिन एक दिन उसकी गायक-मण्डली के शिक्षक ने उसे गायक-मण्डली का संचालन करने के लिए कहा, जिससे उसके हाथ काफी दिखाई दिए l उस क्षण से, उसने अपनी जीविका (career) पाया, चर्च की गायक-मण्डलियों का संचालन किया और अब दूसरे विश्वविद्यालय की गायक-मण्डली के निदेशिका के रूप में काम कर रही है l एबेला बताती है, “मेरे शिक्षकों ने मुझमें कुछ देखा l”
उसकी प्रेरक कहानी विश्वासियों को यह पूछने के लिए आमंत्रित करती है, हमारी “सीमाओं” के बावजूद हमारा परमेश्वर, हमारा पवित्र शिक्षक, हममें क्या देखता है? किसी भी चीज़ से अधिक, वह खुद को देखता है l “तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरुप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की” (उत्पत्ति 1:27 NLT) l
उसके शानदार “छवि वाहक,” के रूप में जब अन्य लोग हमें देखते हैं, तो हमें उसे प्रतिबिंबित करना चाहिये l एबेला के लिए, इसका मतलब यीशु है, उसके हाथ – या उसकी ऊँगलियों की कमी – सबसे अधिक मायने नहीं रखती है l सभी विश्वासियों के लिए भी यही सच है l 2 कुरिन्थियों 3:18 में कहा गया है, “परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश करके बदलते जाते हैं” (पद.18) l
एबेला के समान, हम मसीह की रूपांतरण करने वाले शक्ति (पद.18) द्वारा अपने जीवन को संचालित कर सकते हैं, एक जीवन गीत प्रस्तुत कर सकते हैं जो परमेश्वर के सम्मान के लिए बजता है l
हमारे हृदयों पर अंकित
1450 में जब जोहानस गुटेनबर्ग ने प्रिंटिंग प्रेस को जंगम/चल प्रकार के साथ जोड़ा, तो उन्होंने पश्चिम में बड़े पैमाने पर जन संचार के युग की शुरुआत की और नए सामजिक क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार किया l दुनिया भर में साक्षरता बढ़ी और नए विचारों ने सामजिक और धार्मिक सन्दर्भों में तेजी से बदलाव लाए l गुटेनबर्ग ने बाइबल का पहला मुद्रित संस्करण प्रस्तुत किया l इससे पहले, बाइबल की प्रति कड़ी मेहनत से हाथ से नक़ल करके बनायी जाती थी, और शास्त्री उत्पादन करने के लिए एक साल तक का समय लेते थे l
सदियों से, प्रिंटिंग प्रेस ने आपके और मेरे जैसे लोगों को पवित्रशास्त्र तक सीधी पहुँच का विशेषाधिकार प्रदान किया है l जबकि हमारे पास इलेक्ट्रॉनिक संस्करण भी उपलब्ध हैं, उसके आविष्कार के कारण हम में से कई लोग अक्सर अपने हाथों में एक भौतिक बाइबल रखते हैं l बाइबल की दूसरी प्रति तैयार करने में सर्वथा कीमत और समय लगाने के बावजूद भी जो दुर्लभ थी आज हमारी ऊँगलियों पर आसानी से मौजूद है l
परमेश्वर के सत्य तक पहुँच एक अद्भुत विशेषाधिकार है l नीतिवचन के लेखक से संकेत मिलता है कि हमें पवित्रशास्त्र में उसके निर्देशों का पालन करना चाहिये जैसे कि कुछ “अभिलाषित” हो जैसे “[हमारी] आँख की पुतली” (नीतिवचन 7:2) और उसकी बुद्धिमत्ता के शब्दों को “[हमारे] हृदय की पटिया पर लिख लेना” (पद.3) l जैसा कि हम बाइबल को समझना चाहते हैं और उसकी बुद्धि के अनुसार जीना चाहते हैं, हम, शास्त्रियों की तरह, परमेश्वर की सच्चाई को अपनी “ऊँगलियों” से अपने हृदयों में उतार रहे हैं, और हम जहां भी जाते हैं, हम अपने साथ ले जाते हैं l