जब मेरे पति बिस्तर से उठकर रसोई में गए, तो बहुत सबेरा नहीं हुआ था l मैंने बत्ती को जलते और बुझते हुए देखा और उनकी हरकत पर आश्चर्य किया l तब मुझे याद आया कि पिछली सुबह मैं रसोई के काउंटर पर एक “घुसपैठिए” को देखकर चिल्लाई थी l अनुदित : छह पैरों वाला किस्म का अवांछनीय प्राणी l मेरे पति मेरे संदेह को जानते थे और उसे निकालने के लिए तुरंत पहुंच गए थे l आज सुबह वह यह सुनिश्चित करने के लिए जल्दी उठे कि हमारा रसोई कीड़ा रहित(bug-free) हो ताकि मैं बिना किसी चिंता के प्रवेश कर सकूँ l गजब के पति है!

मेरे पति मुझे अपने मन में रखते हुए जागे, खुद की ज़रूरत के ऊपर मेरी ज़रूरत को l मेरे लिए, उनकी क्रिया पौलुस द्वारा इफिसियों 5:25 में वर्णित प्रेम को दर्शाती है, “हे पतियो, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम करके अपने आप को उसके लिए दे दिया l” पौलुस आगे बढ़ता है, “पति अपनी अपनी पत्नी से अपनी देह के समान प्रेम रखे”    (पद.28) l पौलुस द्वारा पति के प्रेम की तुलना यीशु मसीह के प्रेम से करना इस केंद्र बिंदु पर है कि कैसे यीशु ने अपनी ज़रूरतों के आगे हमारी ज़रूरतों को रखा l मेरे पति को पता है कि मैं कुछ घुसपैठियों से डरती हूँ, और इसलिए उन्होंने मेरी चिंता को अपनी प्राथमिकता बना दिया l

यह सिद्धांत केवल पतियों पर लागू नहीं होता है l यीशु के उदाहरण के बाद, हम में से प्रत्येक तनाव, भय, शर्म या चिंता के किसी घुसपैठिये को दूर करने में मदद करने के लिए प्यार से त्याग कर सकता है ताकि कोई व्यक्ति दुनिया में अधिक स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ सके l