लीसा को मिले कार्ड पर लिखा पद उसकी स्थिति से मेल नहीं खा रहा था : “तब यहोवा ने सेवक की आँखें खोल दीं, और जब वह देख सका, तब क्या देखा कि एलिशा के चारों ओर का पहाड़ अग्निमय घोड़ों और रथों से भर हुआ है” (2 राजा 6:17) l मुझे कैंसर है! उसने व्याकुलता में सोचा l मैंने हाल ही में एक बच्चा खोया है! स्वर्गदूतों की सेना के विषय यह पद लागू नहीं होता l
फिर “स्वर्गदूत” दिखाई देना आरम्भ हो गए l कैंसर से बचे हुए लोगों ने उसे अपना समय और सुनने वाला कान दिया l उसके पति को एक विदेशी सैन्य कार्यभार से जल्दी मुक्ति मिल गयी l दोस्तों ने उसके साथ प्रार्थना की l लेकिन वह पल जब उसने सबसे ज्यादा परमेश्वर के प्यार को महसूस किया, जब उसकी दोस्त पैटी पेपर टिशु के दो डिब्बे लेकर आई l उन्हें टेबल पर रखकर वह रोने लगी l पैटी को पता था l उसने भी गर्भपात/अकाल प्रसवों को झेला था l
लीसा कहती है, “वह सबसे अधिक मायने रखता था l” “कार्ड की सार्थकता अब समझ में आ गयी l मेरे ‘स्वर्गदूत सैनिक’ वहाँ सब समय थे l”
जब एक सेना ने इस्राएल को घेर लिया, तो वास्तविक स्वर्गदूतों की सेना ने एलिशा की रक्षा की l लेकिन एलिशा का सेवक उन्हें देख नहीं पा रहा था l “हम क्या करें?” वह नबी के पास आकर चिल्लाया (पद.15) l एलिशा ने बस प्रार्थना की, “हे यहोवा, इसकी आँखें खोल दे कि यह देख सके” (पद.17) l
जब हम परमेश्वर की ओर देखते हैं, तो हमारा संकट हमें दिखाएगा कि वास्तव में क्या मायने रखता है और कि हम अकेले नहीं हैं l हम सीखते हैं कि आराम देनेवाली परमेश्वर की उपस्थिति हमें कभी नहीं छोड़ती l वह हमें असीम आश्चर्यजनक तरीकों से अपना प्यार दिखाता है l
बुरी खबर मिलने पर आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या होती है? जब आपने एक संकट को झेला, तो आपने नए तरीकों में परमेश्वर को कैसे देखा?
प्रेमी परमेश्वर, आपकी उपस्थिति की पूरी विश्वसनीयता के लिए धन्यवाद l मेरी आँखें खोलिए ताकि मैं आपको आज एक नए तरीके से देख सकूँ l