जब मैंने जैकी के बिस्तर के पास एक कुर्सी खींची, कमरे में कम रौशनी थी और कमरा शांत था l कैंसर के साथ तीन साल की लड़ाई से पहले, मेरी सहेली एक फुरतीली व्यक्ति थी l मैं अब भी उसे हंसती हुई देख सकती हूँ – जीवन से भरी आँखें, मुस्कराहट से चमकता हुआ उसका चेहरा l अब वह निःशब्द और शांत थी, और मैं एक विशेष देखभाल सुविधा केंद्र में उससे मिलने आई थी l
नहीं जानते हुए कि बोलना है, मैंने पवित्रशास्त्र के कुछ भाग पढ़ने का फैसला किया l मैंने अपने पर्स से अपनी बाइबल निकाली और 1 कुरिन्थियों से एक संदर्भ निकालकर पढ़ने लगी l
उससे मुलाकात के बाद अपनी खड़ी कार में अकेले में, मेरे मन में एक विचार आया जिसने मेरी आँखों के आँसू कम कर दिए : तुम उसे फिर देखोगी l अपने दुःख के बीच, मैं भूल गयी थी कि विश्वासियों के लिए मृत्यु केवल अस्थायी है (1 कुरिन्थियों 15:21-22) l मुझे पता था कि मैं फिर से जैकी को देखूँगी क्योंकि हम दोनों ने हमारे पापों की क्षमा के लिए यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान पर भरोसा किया था (पद.3-4) l जब यीशु अपने क्रूसीकरण के बाद जीवित हुआ, तो मृत्यु ने विश्वासियों को एक दूसरे से और परमेश्वर से अलग करने की अपनी अंतिम शक्ति खो दी l हमारे मरने के बाद, हम परमेश्वर के साथ पुनः स्वर्ग में रहेंगे और हमारे सभी आत्मिक भाई और बहन भी – हमेशा के लिए l
क्योंकि यीशु आज जीवित है, उसके विश्वासियों के पास नुक्सान और दुःख के समय में आशा है l जय ने मृत्यु को निगल लिया (पद.54) l
दुःख के समय में परमेश्वर ने आपको कैसे सुकून दिया है? आज जो व्यक्ति को शोक है, उसे आराम देने के लिए वह आपको कैसे इस्तेमाल करना चाहेगा?
प्रिय यीशु, मेरे पाप के लिए मरने के लिए धन्यवाद l मुझे विश्वास है कि आप आज जीवित हैं क्योंकि परमेश्वर ने आपको मृतकों में से जिलाया है l
Life After Loss: Grieving with Hope को discoveryseries.org/cb131 पर पढ़ें l