मैं दुनिया में उन लाखों लोगों में से एक हूं जो SAD (मौसमी आक्रमण विकार/seasonal affective disorder) से पीड़ित हैं, जो कम सर्दी के दिनों में सीमित धूप के साथ स्थानों में आम अवसाद का एक प्रकार है । जब मुझे डर लगने लगता है कि सर्दियों का जमा हुआ कोप कभी खत्म नहीं होगा, तो मैं किसी भी सबूत के लिए उत्सुक हूं कि अब और लम्बे दिन और गर्म तापमान आ रहे हैं ।

वसंत के पहले संकेत – फूल सफलतापूर्वक बर्फ में से अपने तरीके से फूट कर निकल रहे होते हैं – यह भी शक्तिशाली तरीके से मुझे याद दिलाता है कि परमेश्वर की आशा हमारे सबसे अंधकारमय मौसमों में भी दिखाई दे सकती है l भविष्यवक्ता मीका ने एक खौफनाक “सर्दी” को सहन करते हुए भी इस बात को कबूल किया जब इस्राएली परमेश्वर से दूर हो गए । जब  मीका ने धूमिल स्थिति का आंकलन किया, उसने विलाप कर कहा कि “एक भी सीधा जन नहीं रहा”  (मीका 7: 2) ।

फिर भी, भले ही स्थिति गंभीर दिखाई दी, फिर भी भविष्यवक्ता ने आशा छोड़ने से इनकार किया l उसे भरोसा था कि परमेश्वर काम कर रहा है (पद.7) – यद्यपि, तबाही के बीच में भी, जब वह सबूत नहीं देख सकता था l

हमारे अंधेरे और कभी-कभी अंतहीन “सर्दियों” में, जब वसंत आता दिखायी नहीं देता, तो हम मीका के समान संघर्ष का सामना करते हैं । क्या हम निराशा में हार मान लेंगे? या हम  “अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर की बाट [जोहते रहेंगे]”? (पद.7) ।

ईश्वर में हमारी आशा कभी व्यर्थ नहीं जाती (रोमियों 5: 5) । वह ऐसा समय ला रहा है जहाँ “सर्दी” कभी न होगी और जिसमें कोई शोक या पीड़ा नहीं है (प्रकाशितवाक्य 21:4) । तब तक, हम कबूल करते हुए विश्राम करें, “मेरी आशा तो तेरी ओर लगी है” (भजन 39:7) l