उसके बगीचे का बड़ा पेड़ तूफान की तेज हवाओं में झूल रहा था l रेजी उस पेड़ से प्यार करती थी जिसने न केवल गर्मियों में सूरज से आश्रय प्रदान किया था, बल्कि उसके परिवार को छाया भी दिया था । अब भयंकर तूफान ज़मीन से जड़ों को उखाड़ रहा था । जल्दी से, रेजी, अपने पंद्रह वर्षीय बेटे को खींचते हुए, पेड़ को बचाने की कोशिश करने के लिए दौड़ी । उसने अपने हाथों और नब्बे पाउंड के शरीर से मजबूती से अपने बेटे के साथ ताकत लगाकर इसे गिरने से बचाने की कोशिश की । लेकिन वे पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं थे l

जब राजा दाऊद ने दूसरे प्रकार के तूफान में परमेश्वर को पुकारा तो परमेश्वर उसकी शक्ति था (भजन 28:8) । कुछ टिप्पणीकारों का कहना है कि उसने यह उस दौरान लिखा था जब उसकी दुनिया बिखर रही थी । उसका अपना बेटा उसके खिलाफ विद्रोह किया और सिंहासन को अपने कब्जे में करने की कोशिश की (2 शमूएल 15) । उसने इतना असुरक्षित और कमजोर महसूस किया कि वह भयभीत हो गया कि परमेश्वर निशब्द हो जाएगा, और उसकी मृत्यु हो जाएगी  (भजन 28: 1) । “जब मैं तेरी दोहाई दूँ . . . तब मेरी गिड़गिड़ाहट . . . सुन ले,” उसने परमेश्वर से कहा (पद.2) l परमेश्‍वर ने दाऊद को आगे बढ़ने की ताकत दी, बावजूद इसके कि  उसके बेटे के साथ उसका रिश्ता कभी नहीं सुधरा ।

बुरी चीजों को होने से रोकने के लिए हम कितनी आशा रखते हैं! लेकिन हमारी कमजोरी में, परमेश्वर वादा करता है कि हम हमेशा उसे अपनी चट्टान होने के लिए पुकार सकते हैं (पद.1–2) । जब हमारे पास ताकत नहीं होगी, तो वह हमारा चरवाहा है और हमें हमेशा के लिए थामेगा (पद.8-9) l