वह एक बूढ़ा अनुभवी सैनिक था, खामियों से भरपूर और अशिष्ट भाषा बोलने वाला भी l एक दिन एक दोस्त ने उसकी पर्याप्त चिंता करते हुए उसके आध्यात्मिक मान्यताओं के बारे में पुछा l उस व्यक्ति की मानने से इनकार करने जैसी प्रतिक्रिया जल्दी से आई : “परमेश्वर के पास मेरे जैसे किसी के लिए जगह नहीं है ।”

शायद यह उसके “कठिन-व्यक्ति” चरित्र का हिस्सा था, लेकिन उसके शब्द सच्चाई से दूर नहीं हो सकते थे! परमेश्वर विशेष रूप से खामियों से पूर्ण, और अपराध-बोध ग्रसित, और बहिष्कृत  किसी के लिए भी जगह बनाता है और अपने समुदाय में फलने-फूलने देता है l यीशु की सेवा की शुरुआत से यह स्पष्ट था, जब उसने अपने शिष्यों के लिए कुछ आश्चर्यजनक चुनाव किए l  सबसे पहले, उसने गलील से कई मछुआरों को चुना- यरुशलेम में उन लोगों के दृष्टिकोण से “गलत चुनाव ।“ उन्होंने एक कर लेनेवाले, मत्ती का भी चयन किया, जिसके पेशे में उसके उत्पीड़ित देशवासियों से जबरन वसूली शामिल थी । फिर, अच्छे परिणाम के लिए, यीशु ने “अन्य” शमौन को चुना – “कनानी/जेलोतेस” (मरकुस 3:18/लूका 6:15) को चुना l

हम इस शमौन के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते हैं (वह शमौन पतरस नहीं है), लेकिन हम जेलोतेस पंथ(कट्टर पंथी) के बारे में जानते हैं । वे मत्ती जैसे देशद्रोहियों से नफरत करते थे, जो तिरस्कृत रोमियों के साथ मिलकर अमीर हो गए थे । फिर भी दिव्य व्यंगोक्ति(divine irony) के साथ, यीशु ने मत्ती के साथ शमौन को चुना, उन्हें एक साथ लाया, और उन्हें अपने समूह  में शामिल किया ।

यीशु के लिए किसी को भी अत्यधिक “बुरा” साबित नहीं कीजिये l आखिरकार, उसने कहा, “मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को मन फिराने के लिए बुलाने आया हूँ” (लूका 5:32) । कठिन मामलों के लिए उसके पास बहुत जगह है- आप और मेरे जैसे लोग ।