कैम्ब्रिज, इंग्लैंड में अपने पचास साल की सेवा में, चार्ल्स सिमियन (1759-1836) ने एक पड़ोसी पास्टर, हेनरी वेन और उनकी बेटियों से मुलाकात की । यात्रा के बाद, बेटियों ने टिप्पणी की कि वह युवा व्यक्ति कितना कठोर और अपने ऊपर भरोसा रखनेवाला है l जवाब में, वेन ने अपनी बेटियों को पेड़ों से आड़ू तोड़ने को कहा l जब उन्होंने सोचा कि उनके पिता को कच्चा फल क्यों चाहिए, तो उन्होंने जवाब दिया, ““ठीक है, मेरे प्रियों, यह अभी हरा है, और हमें इंतजार करना चाहिए; लेकिन थोड़ा और सूरज, और कुछ और बारिश, और आड़ू पक जाएगा और मीठा होगा l तो ऐसा ही मिस्टर सिमियन के साथ है l”
पिछले कुछ वर्षों में परमेश्वर का रूपांतरित करनेवाले अनुग्रह ने वास्तव में सिमियन को नरम किया । हर दिन बाइबल पढ़ने और प्रार्थना करने की उसकी प्रतिबद्धता एक कारण थी । एक मित्र जो कुछ महीनों तक उसके साथ रहा, उसने इस अभ्यास को देखा और टिप्पणी की, “यहाँ उसके महान अनुग्रह और आध्यात्मिक सामर्थ्य का रहस्य था l”
परमेश्वर के साथ अपने दैनिक समय में सिमियन ने भविष्यवक्ता यिर्मयाह के अभ्यास का पालन किया, जिसने परमेश्वर के वचनों को विश्वासयोग्यता से सुना । यिर्मयाह उन पर इतना निर्भर था कि उसने कहा, “जब तेरे वचन मेरे पास पहुंचे, तब मैं ने उन्हें मानों खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनंद का कारण हुए” (यिर्मयाह 15:16) l
अगर हम भी खट्टे हरे फल से मिलते-जुलते हैं, तो हम भरोसा कर सकते हैं कि परमेश्वर अपनी आत्मा के द्वारा हमें नरम बनाने में मदद करेगा जब हम वचन को पढ़ने और उसे मानने के द्वारा उसे जान जाएंगे
<a href="https://www.bible.com/bible/1683/JER.15.16.HINDI-BSI" title="यिर्मयाह 15.16" target="_blank">यिर्मयाह 15.16</a>
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