हाल ही में, मेरी कार में कुछ काम होना था l मेरे घर से करीब एक मील दूर मैकेनिक की दुकान थी । इसलिए मैंने पैदल ही घर जाने का फैसला किया । लेकिन जैसे ही मैं एक हलचल वाले सार्वजनिक मार्ग से होकर जाना चाहा,  मैंने कुछ देखा : अन्य हर कोई इतनी तेजी से आगे बढ़ रहा था ।

यह रॉकेट विज्ञान नहीं है । पैदल चलने वालों की तुलना में कारें तेजी से आगे बढ़ती हैं । ज़िप, ज़िप, ज़िप! जब मैं धीमी गति से घर जा रहा था, मैंने कुछ अहसास किया : हम इतनी तेजी से आगे बढ़ने के आदी हैं l पूरे समय । फिर, एक और अहसास : मैं अक्सर ईश्वर से अपेक्षा करता हूं कि वह भी उतनी ही गति से काम करे l मैं चाहता हूं कि उसकी योजनाएं मेरे शीघ्र समय-सारिणी के अनुरूप हों ।

जब यीशु पृथ्वी पर था, तब उसकी कदाचित मंद गति कभी-कभी उसके मित्रों को निराश करती थी । यूहन्ना 11 में, मरियम और मार्था ने कहला भेजा कि उनका भाई, लाजर बीमार था । वे जानते थे कि यीशु मदद कर सकता था (पद.1-3) । लेकिन लाजर की मृत्यु के बाद, वह चार दिन बाद पहुँचा (पद.17) l मार्था ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता (पद.21) l अनुवाद : यीशु तेजी से आगे नहीं बढ़ा l लेकिन उसकी योजना और बड़ी थी : लाजर को मृत्यु से जिलाना (पद.38-44) l

क्या आप मार्था की हताशा से जुड़ सकते हैं?  मैं जुड़ सकता हूँ l कभी-कभी, मैं चाहता हूँ कि यीशु प्रार्थना का जवाब देने के लिए अधिक तेज़ी से आगे बढ़े l कभी-कभी, ऐसा लगता है कि वह विलंबित है l लेकिन यीशु का संप्रभु कार्यक्रम हमारे से अलग है । वह बचाने का अपना कार्य अपनी समय सारिणी पर करता है,  हमारी नहीं । और अंतिम परिणाम उसकी महिमा और अच्छाई को उन तरीकों से प्रदर्शित करता है जो हमारी योजनाओं से बहुत महान हैं l