जब रेबेका के भाई और भाभी को शादी की समस्या होने लगी,  तो रेबेका ने उनके सुलह के लिए ईमानदारी से प्रार्थना की l लेकिन उन्होंने तलाक दे दिया l तब उसकी भाभी ने बच्चों को राज्य से बाहर ले गयी और उनके पिता ने विरोध नहीं किया l रेबेका ने फिर कभी भी भतीजियों को नहीं देखा जिनसे वह बहुत प्यार करती थी l वर्षों बाद उसने कहा, “ “इस दुःख को अपने दम पर संभालने की कोशिश करने के कारण,  मैंने अपने दिल में कड़वाहट की एक जड़ उगने  दी,  और यह मेरे परिवार और दोस्तों में फैलने लगी l”

रूथ की किताब नाओमी नाम की एक महिला के बारे में बताती है जो दुःख के साथ संघर्ष करती है जो कड़वाहट में बदल जाती है l उसके पति की एक विदेशी भूमि में मृत्यु हो गई, और दस साल बाद उनके दोनों बेटों की मृत्यु हो गई l वह अपनी बहुओं,  रूत और ओरपा (1:3–5) के साथ बेसहारा रह गई थी l जब नाओमी और रूत नाओमी के स्वदेश लौटे,  तो पूरा शहर उन्हें देखने के लिए उत्साहित था l लेकिन नाओमी ने अपने दोस्तों से कहा : “सर्वशक्तिमान ने मुझ को बड़ा दुःख दिया है . . . . सर्वशक्तिमान ने मुझे दुःख दिया है” (पद.20-21) l यहां तक ​​कि उसने उन्हें उसे “मारा,” संबोधित करने को कहा अर्थात् कड़वाहट l

किसे निराशा का सामना नहीं करना पड़ा और कड़वाहट की ओर ललचाया गया?  कोई व्यक्ति कुछ आहत करनेवाली बात कहता है, कोई अपेक्षा पूरी नहीं होती, अथवा दूसरों की मांग हमें क्रोधित कर देता है l जब हम अपने आप के और परमेश्वर के सामने स्वीकार करते हैं कि हमारे दिल की गहराई में क्या हो रहा है,  तो हमारा दयालु माली कड़वाहट की किसी भी जड़ को खोदकर निकालने में मदद कर सकता है – चाहे वे अभी भी छोटे हैं या वर्षों से बढ़ रहे हैं – और उनके स्थान पर एक मधुर,  हर्षित आत्मा दे सकता है l