दो लोगों को यीशु के लिए दूसरों की सेवा करने के लिए याद किया जाता जिन्होंने कला में आजीविका छोड़कर उस स्थान को जाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया जिसे वे मानते थे कि परमेश्वर ने उनको बुलाया है l जेम्स ओ. फ्रेजर (1886-1938) ने चीन में लिसु लोगों की सेवा करने के लिए इंग्लैंड में एक कॉन्सर्ट(संगीत-गोष्ठी) पियानोवादक बनने का फैसला छोड़ दिया, जबकि अमेरिकी जडसन वैन डीवेंटर (1855-1939) ने कला में अपनी कैरियर/आजीविका बनाने के बजाय एक प्रचारक बनने का विकल्प चुना l उन्होंने बाद में “यीशु को मैं सब कुछ देता” गीत लिखा l

जबकि कला में एक व्यवसाय होना कई लोगों के लिए सही आह्वान है,  इन लोगों का मानना ​​था कि परमेश्वर ने उन्हें एक कैरियर को दूसरे के लिए त्यागने के लिए बुलाया था l शायद उन्हें यीशु से प्रेरणा मिली जिसने धनी, युवा शासक से सब संपत्ति छोड़कर उसका अनुसरण करने की  सलाह दी थी (मरकुस 10:17-25) l अदला-बदली को देखकर, पतरस ने कहा, “देख, हम तो सब कुछ छोड़कर तेरे पीछे हो लिए हैं!” (पद.28) l यीशु ने उसे आश्वस्त किया कि जो उसका अनुसरण करेंगे परमेश्वर उन्हें “इस समय सौ गुना” और अनंत जीवन देगा (पद.30) l लेकिन वह अपनी बुद्धि के अनुसार देगा : “बहुत से जो पहले हैं, पिछले होंगे; और जो पिछले हैं, वे पहले होंगे” (पद.31) l

कोई फर्क नहीं पड़ता कि ईश्वर ने हमें कहाँ रखा है,  हमें रोजाना अपने जीवन को मसीह के सामने समर्पित करने के लिए कहा गया है, उसका अनुसरण करने के लिए उसकी कोमल बुलाहट को मानना और अपने गुण और संसाधनों के साथ उसकी सेवा करना – चाहे घर, दफ्तर, अथवा समुदाय में या घर से दूर l जब हम ऐसा करते हैं,  वह हमें दूसरों से प्यार करने के लिए प्रेरित करेगा, उनकी ज़रूरतों को अपनी ज़रूरतों के ऊपर रखकर l