उत्तरी घाना (अफ्रीका) में छोटा बाइबल कॉलेज प्रभावशाली नहीं दिख रहा था – बस टिन की छत वाला मिटटी से बना भवन और मुट्ठी भर छात्र l फिर भी बॉब हेयस ने अपना जीवन उन छात्रों में डाल दिया l उन्होंने उन्हें नेतृत्व की भूमिका दी और उन्हें उनकी कभी-कभी की अनिच्छा के बावजूद प्रचार करने और सिखाने के लिए प्रोत्साहित किया l बॉब का वर्षों पहले निधन हो गया, लेकिन दर्जनों फलती-फूलती कलीसियाएं, स्कूल, और दो अतिरिक्त बाइबिल इंस्टिट्यूट पूरे घाना में आरम्भ हुए – सभी उस विनम्र स्कूल के स्नातकों द्वारा शुरू किए गए हैं l
राजा अर्तक्षत्र (465-424 ई.पू.) के शासनकाल के दौरान, एज्रा शास्त्री ने यरूशलेम लौटने के लिए यहूदी निर्वासितों के एक झुण्ड को इकट्ठा किया l लेकिन एज्रा को उनके बीच कोई लेवी नहीं मिला (एज्रा 8:15) l उसे याजकों के रूप में सेवा करने के लिए लेवियों की ज़रूरत थी l इसलिए उसने अगुओं को भेजा कि वे “परमेश्वर के भवन के लिए सेवा टहल करनेवालों को ले आएं” (पद.17) l उन्होंने ऐसा किया (पद.18–20), और एज्रा ने उन सभी का उपवास और प्रार्थना में नेतृत्व किया (पद.21) l
एज्रा के नाम का अर्थ है “सहायक,” जो अच्छे नेतृत्व के हृदय में बसनेवाली एक विशेषता है l एज्रा के प्रार्थनापूर्ण मार्गदर्शन में, वह और उसके आश्रित यरूशलेम में आध्यात्मिक जागृति का नेतृत्व करनेवाले थे (देखें अध्याय 9-10) l उन्हें केवल थोड़ा प्रोत्साहन और बुद्धिमान दिशा की ज़रूरत थी l
परमेश्वर की कलीसिया भी ऐसे ही काम करती है l जैसे अच्छे गुरु हमें प्रोत्साहित और निर्माण करते हैं, हम दूसरों के लिए भी ऐसा करना सीखते हैं l ऐसा प्रभाव हमारे जीवनकाल से बहुत आगे तक पहुंचेगा l ईश्वर के लिए ईमानदारी से किया गया कार्य अनंत काल तक पहुँचता है l
आपका प्राथमिक आध्यात्मिक गुरु कौन है? (यदि आपके पास कोई नहीं है, तो आप किसे आपको सलाह देने के लिए कह सकते हैं?) आपके लिए दूसरों से सलाह प्राप्त करने और उनको सलाह देने के लिए मसीह में सलाह प्राप्त करना महत्वपूर्ण क्यों है?
पिता, मुझे कोई दिखाएँ जिसे मैं सलाह दे सकता हूँ l