कुछ साल पहले, एक कठफोड़वा(woodpecker) हमारे घर के उपरी बाहरी हिस्से में खटखटाने लगा l हमने सोचा कि समस्या केवल बाहरी थी l फिर एक दिन, मेरा बेटा और मैं सीढ़ी द्वारा अटारी में घुसे, जहाँ हमारे हैरत में पड़े चेहरों के सामना एक चिड़िया उड़ी l समस्या हमारे शक करने से कहीं अधिक बदतर थी : वह हमारे घर के अंदर थी l
जब यीशु यरूशलेम पहुँचा, तो भीड़ उम्मीद कर रही थी कि वह उनकी बाहरी समस्या को ठीक करने वाला कोई होगा – रोमी लोगों द्वारा उनका उत्पीड़न l वे उत्तेजित होकर चिल्लाते हुए बोले, “दाऊद के संतान को होशाना, धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना” (मत्ती 21:9) l यही वह क्षण था जिसकी वे प्रतीक्षा कर रहे थे; परमेश्वर द्वारा नियुक्त राजा आ चुका था l यदि परमेश्वर का चुना हुआ उद्धारकर्ता चीजों को सुधारना शुरू करने जा रहा था, तो क्या वह वहाँ के सभी गलत कामों से शुरू नहीं करेगा? लेकिन अधिकांश सुसमाचारों के वर्णन में, “विजय प्रवेश” के बाद यीशु द्वारा मंदिर के अन्दर से शोषक सर्राफों को बाहर निकलने का वर्णन है (पद.12-13) l वह घर की सफाई कर रहा था, और भीतर से बाहर l
जब हम राजा के रूप में यीशु का स्वागत करते हैं तो ऐसा ही होता है l वह चीजों को सही करने के लिए आता है – और वह हमारे साथ शुरू करता है l वह हमें अंदर की बुराई का सामना कराता है l यीशु हमारा राजा हमारा शर्तहीन समर्पण चाहता है ताकि हम उसकी शांति का अनुभव कर सकें l
यीशु का आपका राजा होने का क्या मतलब है? आपके लिए उसके सामने अपना सर्वस्व समर्पण करना क्यों महत्वपूर्ण है?
प्रिय यीशु, आप सच्चे राजा हैं l केवल मेरे आसपास के संसार की समस्याओं को ठीक करने की चाहत और मेरे हृदय में पाप का सामना नहीं करने के लिए मुझे क्षमा करें l मुझे दिखाएँ कि मैं कहाँ भटक सकता हूँ और मेरे जीवन में उन तरीकों को उजागर करें जहां मैं भागने की चाह रखता हूँ l