भेंगा (अलग-अलग आकार की आँखें) स्क्विड(एक प्रकार का जल जंतु/घोंघा) समुद्र के “गोधुली क्षेत्र” में रहता है, जहाँ सूर्य की किरणें मुश्किल से पहुँचती हैं l स्क्विड का उपनाम उसकी दो बेहद अलग आंखों के लिए एक संदर्भ है : बाईं आंख का समय के साथ विकसित होकर दाएं से काफी बड़ा हो जाना – लगभग दोगुना बड़ा l इस जंतु का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाया है कि स्क्विड अपनी दाहिनी आंख, छोटी वाली आँख का उपयोग नीचे गहरे अँधेरे में देखने के लिए करता है l बड़ी वाली, बांयी आँख से, ऊपर सूर्य की किरणों की ओर देखती है l
स्क्विड वर्तमान संसार में रहने का मतलब है और भविष्य की निश्चितता में भी हम उन लोगों के रूप में प्रतीक्षा करते हैं, जो “मसीह के साथ जिलाए गए [हैं]” का अविश्वसनीय चित्रण हैं (कुलुस्सियों 3:1) l कुलुस्सियों को लिखे गए पौलुस की पत्री में, उन्हे जोर देकर कहता है कि हमें “स्वर्गीय वस्तुओं पर [अपना] ध्यान लगाना है” क्योंकि हमारा जीवन “मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है” (पद. 2-3) l
पृथ्वीवासी के रूप में जो स्वर्ग में अपने जीवन की प्रतीक्षा कर रहे हैं, हम अपनी वर्तमान वास्तविकता में हमारे आस-पास क्या हो रहा है, पर अपनी एक आँख प्रशिक्षित करते हैं l लेकिन जिस तरह से स्क्विड की बायीं आंख समय के साथ विकसित होती है, जो एक बड़ी और ऊपर क्या हो रहा है के प्रति संवेदनशील हो जाती है, हम, भी, परमेश्वर के आत्मिक क्षेत्र में काम करने के तरीकों के बारे में हमारी जागरूकता में वृद्धि कर सकते हैं l हम अभी तक पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं कि यीशु में जीवित होने का क्या मतलब है, लेकिन जब हम “ऊपर” देखते हैं, हमारी आँखें इसे अधिकाधिक देखना शुरू कर देंगी l