श्रमिकों का एक समूह एक आइसहाउस(icehouse) में बर्फ जमा कर रहा था, जब उनमें से एक को एहसास हुआ कि उसने खिड़की रहित भवन में अपनी घड़ी खो दी है l उसने और उसके मित्रों ने इसे व्यर्थ में खोजा l
जब उन्होंने हार मान ली, तो एक युवा लड़का, जिसने उन्हें बाहर निकलते देखा था, भवन में अन्दर गया l जल्द ही, वह घड़ी के साथ बाहर आया l यह पूछे जाने पर कि उसे यह कैसे मिला, उसने जवाब दिया : ‘मैं बस बैठ गया और चुप हो गया, और जल्द ही मैं इसकी टिक-टिक सुन सकता था l”
बाइबल चुप रहने के महत्व के बारे में बहुत बात कहती है l और कोई आश्चर्य नहीं, क्योंकि परमेश्वर कभी-कभी धीमी आवाज़ में बोलता है (1 राजा 19:12) l जीवन की व्यस्तता में, उसे सुनना कठिन हो सकता है l लेकिन यदि हम इधर-उधर भागना बंद करदे और उसके साथ और पवित्रशास्त्र में कुछ समय व्यतीत करें, हम अपने विचारों में उसकी धीमी आवाज़ को सुन सकेंगे l
भजन 37: 1-7 हमें विश्वास दिलाता है कि बुरे लोगों की “दुष्ट योजनाओं” से हमें बचाने के लिए, हमें शरण देने के लिए, और हमें वफादार बने रहने में मदद के लिए, हम परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं l लेकिन जब हमारे चारों तरफ अशांति है तो हम यह कैसे कर सकते हैं?
पद 7 सलाह देता है : “यहोवा के सामने चुप रह, और धीरज से उसकी प्रतीक्षा कर l” हम प्रार्थना के बाद कुछ मिनटों तक चुप रहना सीख सकते हैं l या फिर चुपचाप बाइबल पढने और शब्दों को हमारे दिलों में भीगने दें l और फिर, शायद, हम उसकी बुद्धि को शांत और स्थिर तरीके से हमसे टिक-टिक करती हुई घड़ी के समान बात करते हुए सुनेंगे l