“मिस्टर सिंगरमैन, आप क्यों रो रहे हैं?” बारह साल के अल्बर्ट से पूछा जब उसने मास्टर कारीगर को लकड़ी के एक बक्से को बनाते हुए देखा l
“मैं रोता हूँ,” उन्होंने कहा, “”क्योंकि मेरे पिता रोए थे, और क्योंकि मेरे दादा रोए थे l” बढ़ई का अपने युवा शिक्षार्थी को उत्तर देना लिटिल हाउस ऑन द प्रेयरी (Little House on the Prairie) के एक एपिसोड में एक कोमल क्षण प्रदान करता है l “आंसू,” मिस्टर सिंगरमैन ने समझाया, “एक ताबूत बनाते समय आ जाते हैं l”
“कुछ लोग रोते नहीं हैं क्योंकि उन्हें आशंका है कि यह कमजोरी का संकेत है,” उन्होंने कहा l “मुझे सिखाया गया था कि एक मनुष्य एक मनुष्य है क्योंकि वह रो सकता है l”
यीशु की आँखों में भावनाएँ उमड़ गयी होंगी क्योंकि उसने यरूशलेम के लिए अपनी चिंता की तुलना एक माँ मुर्गी का अपने बच्चों की देखभाल से की (मत्ती 23:37) l उसके शिष्य अक्सर उसकी आँखों में देखी बातों या उसकी कहानियों को सुनकर भ्रमित हो जाते थे l मजबूत होने का मतलब क्या था इस सम्बन्ध में उसका विचार अलग था l मंदिर से बाहर आते समय उसके साथ चलते हुए यह फिर हुआ l पत्थर की विशाल दीवारों और उनके आराधना स्थल की शानदार अलंकरण की ओर अपने शिष्यों का ध्यानाकर्षित करते समय (24:1), शिष्यों ने मानव उपलब्धि की ताकत पर ध्यान दिया l यीशु ने एक मंदिर देखा जो 70 ई.स्. में समतल किया जानेवाला था l
मसीह हमें दिखाता है कि स्वस्थ लोग जानते हैं कि कब रोना है और क्यों l वह रोया क्योंकि उसके पिता को परवाह है और उसकी आत्मा उन बच्चों के लिए कराहती है जो अभी तक नहीं देख पाए हैं कि उसका दिल किससे टूटता है l