दंतकथा के अनुसार, ब्रिटिश संगीत निदेशक सर थॉमस बीचम ने एक बार होटल के उपकक्ष में एक प्रतिष्ठित दिखने वाली महिला को देखा l यह मानते हुए कि वह उसे जानता है लेकिन उसका नाम याद नहीं कर पा रहा था, वह उसके साथ बात करने के लिए रुक गया l जैसा कि दोनों ने बातचीत की, उसने अस्पष्ट रूप से याद किया कि उसका एक भाई था l एक सुराग की उम्मीद करते हुए, उसने पूछा कि उसका भाई कैसा है और क्या वह अभी भी उसी काम में लगा हुआ है l “ओह, वह बहुत अच्छा है,” वह बोली, “और अभी भी राजा है l”
गलत पहचान का मामला शर्मनाक हो सकता है, जैसा कि सर बीचम के लिए था l लेकिन अन्य समय में यह अधिक गंभीर हो सकता है, जैसा कि यीशु के शिष्य फिलिप्पुस के लिए था l शिष्य यीशु को जानता था, जी हाँ, लेकिन वह पूरी तरह समझ नहीं पाया था कि वह कौन है l वह चाहता था कि यीशु “[उन्हें] पिता को दिखा [दे]” और यीशु ने उत्तर दिया, “जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है” (यूहन्ना 14:8-9) l परमेश्वर के अद्वितीय पुत्र के रूप में, यीशु पिता को पूरी तरह से प्रकट करता है कि एक को जानना दूसरे को जानना है (पद.10-11) l
अगर हमें कभी उत्सुकता होती है कि परमेश्वर अपने चरित्र, व्यक्तित्व, या दूसरों की परवाह करने में कैसा है, तो हमें जानने के लिए केवल यीशु की ओर देखने की ज़रूरत है l यीशु का चरित्र, दया, प्रेम और करुणा परमेश्वर का चरित्र प्रगट करते हैं l और यद्यपि हमारा अद्भुत, विस्मयकारी परमेश्वर हमारी पूरी समझ और बोध से परे है, यीशु में स्वयं के बारे में उसने जो प्रगट किया है उसमें हमारे पास एक जबरदस्त उपहार है l