जब टी अन्न एक दुर्लभ स्व-संक्राम्य(autoimmune) बीमारी के साथ आया, जिसने उसकी सभी मांसपेशियों को कमजोर कर दिया था और लगभग उसे मरणासन्न कर दिया था तो उसने महसूस किया कि सांस लेने में सक्षम होना एक उपहार था l एक हफ्ते से अधिक समय तक, एक मशीन को हर कुछ सेकंड में उसके फेफड़ों में हवा पंप करना पड़ता था, जो उसके उपचार का एक पीड़ादायक हिस्सा था l
टी अन्न ने एक चमत्कारी पुनर्प्राप्ति की, और आज वह खुद को जीवन की चुनौतियों के बारे में शिकायत नहीं करने की याद दिलाता है l वह कहता है, “मैं बस एक गहरी साँस लूँगा और परमेश्वर को धन्यवाद दूँगा कि मैं ले सकता हूँ l”
अपनी आवश्यकताओं या इच्छाओं पर ध्यान देना कितना आसान है, और हम भूल जाते हैं कि कि कभी-कभी जीवन की सबसे छोटी चीज़ें सबसे बड़े चमत्कार हो सकते हैं l यहेजकेल के दर्शन में (यहेजकेल 37:1-14), परमेश्वर ने भविष्यवक्ता को दिखाया कि केवल वह सूखी हड्डियों को जीवन दे सकता है l यहां तक ​​कि नस, मांस और त्वचा के आने के बाद भी, “उनमें साँस कुछ न थी” (पद.8) l केवल जब परमेश्वर ने उन्हें सांस देता तब वे फिर से जीवित हो सकते थे (पद.10) l
यह दर्शन इस्राएल को तबाही से बचाने के लिए परमेश्वर के वादे को दर्शा दिया l यह मुझे यह भी याद दिलाता है कि मेरे पास जो कुछ भी है, बड़ा या छोटा है, वह बेकार है जब तक कि परमेश्वर मुझे सांस न दे l
आज जीवन में सबसे साधारण आशीषों के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देना कैसा रहेगा? दैनिक संघर्ष के मध्य, कभी-कभी गहरी साँस लेने के लिए ठहरें, और “सब के सब याह की स्तुति करें!” (भजन 150:6) l