1983 में, एक 14 साल के युवा की हत्या के आरोप में तीन किशोर गिरफ्तार किये गये । समाचार के अनुसार, छोटे किशोर को, “उसके (एथलेटिक) जैकेट के कारण . . . गोली मारी गयी थी l” जेल में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद, और सबूत द्वारा उनकी निरपराधता प्रगट होने से पूर्व तीनों ने सलाखों के पीछे छत्तीस साल गुज़ारे l एक दूसरे व्यक्ति ने अपराध किया था । न्यायधीश ने उन्हें मुक्त व्यक्तियों के रूप में छोड़ने से पहले एक क्षमायाचना अपील जारी की ।
हम चाहे कितना भी कठिन प्रयास क्यों न करें (और चाहे हमारे अधिकारियों द्वारा कितनी भी भलाई की गयी हो), इन्सानी न्याय में हमेशा त्रुटी होती है l हमारे पास कभी भी पूरी जानकारी नहीं होती है । कभी-कभी बेईमान लोग सत्य में हेरफेर करते है । कभी-कभी हम महज गलत हैं l और अक्सर, बुराई सही होने में वर्षों ले सकती है, यदि वे हमारे जीवनकाल में हैं l शुक्र है, अस्थिर इंसानों के विपरीत, परमेश्वर सिद्ध न्याय करता है । मूसा कहता है, “उसका काम खरा है; और उसकी सारी गति न्याय की है” (व्यवस्थाविवरण 32:4) l परमेश्वर चीजों को ऐसे देखता है जैसे वे वास्तव में है । समय आने पर, हमारे बदतर प्रयास के बाद, परमेश्वर अंत में परम न्याय करेगा । यद्यपि समय के विषय अनिश्चित, हमें भरोसा है क्योंकि हम जिसकी सेवा करते है वह “सच्चा ईश्वर है, उसमें कुतिनता नहीं, वह धर्मी और सीधा है” (पद.4) l
हम क्या सही या गलत है के सम्बन्ध में अनिश्चितता द्वारा उदास हो सकते है l हम डरते हैं कि हमारे साथ या हमारे प्रियों के साथ जो अन्याय हुआ है कभी भी सही नहीं किया जा सकेगा l लेकिन हम न्याय के परमेश्वर पर भरोसा कर सकते है कि वह एक दिन न्याय करेगा──इस जीवन में या अगले जीवन में──हमारा न्याय जरूर चुकाएगा l
आपने कहाँ न्याय का दुर्व्यवहार या गलत प्रयोग होते देखा है? आपका हृदय परमेश्वर के न्याय के लिए कहाँ पुकारता है?
हे परमेश्वर, मैं अपने चारों-ओर अन्याय देखता हूँ : समाचार में, अपने रिश्तों में, सोशल मीडिया में l उस आशा के लिए धन्यवाद जो मैं आपमें और आपके सिद्ध मार्ग पर रख सकता हूँ l