जब मेरी सहेली मार्ज बाइबल अध्ययन सभा में तामी से मिली, उसने देखा कि उनमें कुछ सामानता है । परन्तु मार्ज ने उससे दोस्ती की, और उसने अपने नए मित्र से मूल्यवान पाठ सीखा l 

तामी कभी भी किसी बाइबल अध्ययन में नहीं गयी थी, और उसे कुछ समझने में कठिनाई हो रही थी जिसके विषय दूसरी महिलाएं अध्ययन में बातें कर रही थीं : कि परमेश्वर उनसे बातें करता था──कुछ जिसका उसने कभी भी अनुभव नहीं किया था l 

वह परमेश्वर से बहुत सुनना चाहती थी इसलिए उसने कार्य किया l बाद में, उसने मार्ज से बताया l मैंने एक ओर एक पुरानी कुर्सी रखी, और हर समय जब मैं बाइबल पढ़ती हूँ, मैं यीशु से आकर उसमें बैठने को कहती हूँ l” तब तामी ने समझाया कि जब भी कोई पद उसे अलग से दिखाई देता था, वह उस पद को चोक/खड़िया से कुर्सी पर लिख दिया करती थी l यह उसके लिए विशेष बन गयी है “यीशु की कुर्सी,” और उसने उसे परमेश्वर के संदेशों से भर दिया है जो उसे सीधे बाइबल से मिले l 

मार्ज कहती है, “[यीशु की कुर्सी] ने {तामी] के जीवन को बदल दिया है l वह आत्मिक रूप से उन्नति कर रही है क्योंकि बाइबल व्यक्तिगत बन गयी है l 

यहूदी विश्वासियों से बात करते समय, यीशु ने कहा, ‘‘यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे । तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा” (यूहन्ना 8:31-32) l हम उसके शिक्षाओं में बने रहे, चाहे उसके शब्दों को कुर्सी पर लिखना हो, उन्हें याद करना हो, या उन्हें व्यवहारिक बनाने की इच्छा हो l मसीह के संदेश की सच्चाई और बुद्धिमत्ता हमें उसमें बढ़ने में मदद करता है और हमें आजाद करता है ।