मेघा ने कूरियर खोला और एक बड़ा लिफाफा प्राप्त किया जिस पर उसके प्रिय मित्र का वापसी पता लिखा हुआ था l अभी कुछ ही दिन पहले, उसने उस मित्र के साथ एक संबंधपरक संघर्ष के बारे में बताया था । उसने उत्सुकता से पैकेज खोला और उसमें साधारण जूट की डोरी में रंग-बिरंगी मोतियों से सजा हार पाया l इन शब्दों के साथ एक कार्ड भी था “परमेश्वर के मार्ग खोजो l” मेघा उसे अपने गले में पहनते समय मुस्कुरायी l
नीतिवचन की पुस्तक बुद्धि की बातों का एक संकलन है──कई सुलैमान के द्वारा लिखी हुई हैं, जो अपने युग का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में प्रशंसित था (1 राजा 10:23) । मूलभूत सन्देश नीतिवचन 1:7 “यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है” से शुरू होकर उसके 31 अध्याय पाठक को बुद्धि की सुनने और मूर्खता से बचने का आह्वान करते हैं l बुद्धि──जानना कि कब क्या करना है──परमेश्वर के मार्ग को खोजने के द्वारा उसे आदर देने से मिलती है l आरंभिक पदों में, हम पढ़ते हैं, “अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा, और अपनी माता की शिक्षा को न तज; क्योंकि वे मानो तेरे सिर के लिये शोभायमान मुकुट, और तेरे गले के लिये कन्ठ माला होंगी” (पद.8-9) l
मेघा के मित्र ने उसे उस बुद्धि के श्रोत की ओर मार्गदर्शित किया था जो उसकी ज़रूरत थी : “परमेश्वर के मार्ग खोजो l” उसका उपहार मेघा के ध्यान को उस मदद की खोज करने की
ओर केन्द्रित किया जो उसे चाहिए था ।
जब हम परमेश्वर का आदर करते हैं और उसका मार्ग ढूंढते हैं, तो हम जिन्दगी के सभी मामलों का सामना करने के लिए वह बुद्धि प्राप्त करेंगे जो हमें चाहिए । प्रत्येक और हर एक ।
जब आपको बुद्धि की जरूरत होती है तो आप कहाँ जाते है? जब प्रभु दिशा प्रदान करता है, आप अपने गले में एक विभूषित माला की तरह अपने चारों तरफ उसके शब्दों को कैसे रख सकते है?
हे परमेश्वर, कृपया मुझे याद दिलाइए कि आप सारी बुद्धि के स्रोत है जो मुझे चाहिए । मैं इसे हमेशा पाना चाहता हूँ ।
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