जब कैब ड्राईवर हमें हवाई अड्डे ले गया, उसने हमें अपनी कहानी बतायी । वह 17 साल की उम्र में गरीबी और कष्ट को दूर करने अकेले शहर आया था । अब 11 साल बाद, उसके पास उसका खुद का परिवार है और वह उनके लिए जो उनके पैतृक गांव में अनुपलब्ध था प्रदान करने में सक्षम है । लेकिन उसे दुःख है कि वह अभी भी अपने माता-पिता और भाई-बहनों से अलग है । उसने हमें बताया कि उसकी यात्रा कठिन रही है जो पूरी नहीं होगी जब तक कि वह अपने परिवार के साथ फिर से जुड़ नहीं जाता ।

इस जिन्दगी में अपने प्रिय जनों से अलग होना कठिन है, पर मृत्यु में किसी प्रियजन को खोना और भी कठिन है और एक नुकसान की भावना उत्पन्न करती है जो तब तक सही नहीं किया जाएगा जब तक हम उनके साथ फिर से जुड़ नहीं जाते । जब थिस्लुनीके के नए विश्वासियों ने इस तरह के नुकसान के बारे में सोचा, तो पौलुस ने लिखा, “हे भाइयो, हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञानी रहो; ऐसा न हो कि तुम दूसरों के समान शोक करो जिन्हें आशा नहीं” (1 थिस्सलुनीकियों 4:13) । उसने समझाया कि यीशु में विश्वासियों के रूप में, हम एक अद्भुत मिलन की उम्मीद में जी सकते है──मसीह की उपस्थिति में हमेशा के लिए एक साथ (पद.17) l 

कुछ अनुभव हमें उतनी ही गहराई से चिह्नित करती है जितनी गहराई से हम अलगाव सहते है, लेकिन यीशु में हमें फिर से मिलने की आशा है । और दुख और हानि के मध्य हम उस स्थायी वायदे में वह आराम पा सकते है जो हमें चाहिए (पद.18) l