अन्याय सुधारने के बारे में एक संदेश सुनने के बाद, चर्च का एक सदस्य रोते हुए पास्टर के पास गया, क्षमा माँगी और स्वीकार किया कि उसने छोटी जाति के सेवक को अपने स्वयं के पूर्वाग्रह के कारण अपने चर्च के पास्टर होने के पक्ष में मतदान नहीं किया था l “मैं सच में चाहता हूँ कि आप मुझे क्षमा कर दें l मैं नहीं चाहता कि जातिवाद और पक्षपात का कचरा मेरे बच्चों में पहुँच जाए l मैंने आपको वोट नहीं दिया और मैं गलत था l” उनके आँसू और स्वीकारोक्ति सेवक के आँसू और क्षमा के साथ मिले l एक सप्ताह बाद, परमेश्वर ने उसके हृदय में कैसे कार्य किया था, इस बारे में उस व्यक्ति की गवाही सुनकर सम्पूर्ण कलीसिया आनंदित हुयी l
यीशु का चेला, और आरम्भिक कलीसिया का एक मुख्य अगुआ, को भी गैर-यहूदीयों के प्रति गलत धारणा के कारण सुधार की जरूरत पड़ी l गैर-यहूदियों के साथ खाना और पीना (जो अशुद्ध माने जाते थे), सामाजिक और धार्मिक नियम(प्रोटोकॉल) का उल्लंघन था । पतरस ने कहा,“तुम जानते हो, अन्यजाति की संगति करना या उसके यहां जाना यहूदी के लिये अधर्म है” (प्रेरितों 10:28) l उसे यकीन दिलाने के लिए कि वह “किसी मनुष्य को अपवित्र या अशुद्ध न [कहे]” परमेश्वर की अलौकिक गतिविधि (पद.9-23) से कम कुछ भी नहीं लगा l
पवित्रशास्त्र का प्रचार, आत्मा की अभिशंसा, और जिन्दगी के अनुभवों द्वारा, परमेश्वर मनुष्य के हृदयों में दूसरों के प्रति हमारे भ्रष्ट परिपेक्ष्य को सुधारने का काम जारी रखता है l वह हमें देखने में मदद करता है कि “परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता” (पद.34) l
कौन से अनुभव या लोगों को प्रभु ने आपको यह देखने के लिए इस्तेमाल किया कि वह पक्षपात नहीं करता है? आप की जिन्दगी में कौन सी चीजें हैं जो आपको संभवतः सारे लोगों को स्वीकार करने के प्रति अँधा कर दिये हैं?
प्रिय परमेश्वर, मेरे हृदय को जाँचिये और मुझे दिखाइए कि मुझे कहाँ बदलने की जरूरत है l