वह आकाशीय बिजली की चमक के साथ तूफान था, और मेरी 6 वर्षकी बेटी और मैं फर्श पर बैठे हुए कांच के दरवाजे से चमकदार प्रदर्शन देख रहे थे l वह दोहराती रही, “वाह! परमेश्वर बहुत बड़ा है l” मुझे भी ऐसा ही महसूस हुआl यह हम दोनों के लिए स्पष्ट था किहम कितने छोटे थे, और परमेश्वर कितना सामर्थी होगा l अय्यूब की किताब की कुछ पंक्तियाँ मेरे दिमाग में कौंध गयीं, “किस मार्ग से उजियाला फैलाया जाता है, और पुरवाई पृथ्वी पर बहाई जाती है? (अय्यूब 38:24) l

अय्यूब को परमेश्वर की सामर्थ्य की याद दिलाना ज़रूरी था (पद.34-41) l उसकी जिन्दगी बिखर गई थी l उसके बच्चों की मृत्यु हो गयी थी l वह तबाह हो गया था l वह बीमार था l उसके मित्रों ने कोई सहानुभूति नहीं दिखाई l उसकी पत्नी ने उसे अपना विश्वास त्यागने के लिए प्रोत्साहित किया (2:9) l अंत में, अय्यूब ने परमेश्वर से पूछा “क्यों?”(अध्याय 24) और उसने एक आंधी में से उत्तर दिया (अध्याय 38) l

परमेश्वर ने अय्यूब को संसार की भौतिक विशेषताओं पर अपने नियन्त्रण की याद दिलायी (अध्याय 38) l इसने उसे दिलासा दिया और उसने प्रतियूत्तर दिया,“मैं ने कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं” (42:5) l अर्थात् “परमेश्वर, अब मेरी समझ में आ गया, कि आप मेरीसोच में फिट नहीं होते हैं l” 

जब जिन्दगी बिखर जाए, तो कभी कभी सबसे ज्यादा सुकून देने वाली चीज जो हम कर सकते है वह फर्श पर लेटकर आकाशीय बिजली को देखना है——यह याद करने के लिए कि परमेश्वर काफी बड़ा है और हमारी देखभाल करने के लिए पर्याप्त प्रेमी है l हम अपने पसंदीदा आराधना गीत भी गाना शुरू कर सकते हैं जो हमारे परमेश्वर की सामर्थ्य और महानता के बारे में बताते हैं l