वर्षों पहले मैंने एक मसीही संस्था में एक पद के लिए आवेदन किया था और मेरे समक्ष शराब, तम्बाकू और मनोरंजन के कुछ रूपों के उपयोग से सम्बंधित कानूनी नियमों की एक सूची प्रस्तुत की गयी थी l स्पष्टीकरण था, “हम अपने कर्मचारियों से मसीही व्यवहार की अपेक्षा करते हैं l” मैं इस सूची से सहमत हो सकता था, क्योंकि मैंने, ज्यादातर अपने विश्वास से असंबंधित कारणों से, उन चीजों को नहीं किया था l पर मेरे तर्कवादी पक्ष ने सोचा, उनके पास अंहकारी, असंवेदनशील, कठोर, आत्मिक रूप से उदासीन और आलोचनात्मक न होने की सूची क्यों नहीं है? उनमें से कोई भी संबोधित नहीं किया गया था l

यीशु के पीछे चलना नियमों की सूची द्वारा परिभाषित नहीं किया जा सकता है l यह जिन्दगी का एक रहस्यपूर्ण गुण है जिसे परिमाणित करना मुश्किल है लेकिन उसे सर्वोत्तम रूप से “सुन्दर” वर्णित किया जा सकता है l

मत्ती 5:3-10 के धन्य वचन उस सुन्दरता को समेटते हैं :जिन लोगों में यीशु का आत्मा निवास करता है और जो उस पर निर्भर हैं वे दीन और अत्यधिक विनम्र होते हैं l वे दूसरों की पीड़ा द्वारा गहराई से प्रभावित होते हैं l वे कोमल और दयालु होते हैं l वे खुद में और दूसरों में भलाई की लालसा रखते हैं l वे उन पर कृपालु होते है जो संघर्ष करते हैं और असफल होते हैं l वे यीशु के लिए अपने प्रेम में एकचित होते हैं l वे शांतिपूर्ण होते हैं और  शांति की विरासत पीछे छोड़ते हैं l वे उन पर दयालु होते हैं जो उनका दुस्र्पयोग करते हैं, बुराई के बदले भलाई लौटाते हैं । और वे धन्य हैं, एक शब्द जिसका गहराई में अर्थ है “आनंदित l”

इस तरह का जीवन दूसरों का ध्यान आकर्षित करता है और उनका होता हैजो यीशु के पास आते हैं और उसे उससे मांगते हैं l