पठाखों जैसी किसी आवाज़ ने जोन को नींद से जगा किया l कांच बिखर गया l इस बात के लिए इच्छुक कि वह अकेले नहीं होती, वह यह देखने के लिए उठी कि क्या हो रहा था l अँधेरी सड़कें खाली थीं और उसका घर भी ठीक-ठाक लग रहा था──तब उसने टूटे हुए दर्पण को देखा l 

जांचकर्ताओं को गैस लाइन से आधा इंच दूर एक गोली मिली l यदि वह लाइन से टकराता, तो संभवतः वह जीवित बच नहीं पाती l बाद में उन्होंने पाया कि वह पास के अपार्टमेंट्स से आवारा गोली थी, लेकिन अब, जोन घर में रहने में डर रही थी l उसने शांति के लिए प्रार्थना की, और एक बार जब कांच साफ़ कर दिया, उसका मन शांत हो गया l 

भजन 121 हमें मुसीबत के समय में परमेश्वर की ओर देखने के लिए एक चेतावनी है l यहाँ हम देखते हैं कि हमें शांति और निश्चिन्तता मिलती है क्योंकि हमारी “सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है” (पद.2) l परमेश्वर जिसने सृष्टि की रचना की हमारी मदद करता है और हमारी देखभाल करता है (पद.3)──हमारे सोने के समय भी──लेकिन वह कभी नहीं सोता है (पद.4) l वह तो दिन और रात को हमारी देखभाल करता है (पद.6), “अब से लेकर सदा तक” (पद.8) l 

चाहे जिस तरह की स्थिति में हम अपने को पाते हैं, परमेश्वर देखता है l और वह हमारे लिए इंतज़ार करता है कि हम उसकी ओर मुड़ें l जब हम मुड़ते हैं, शायद हमारी स्थिति हमेशा बदलेगी नहीं, लेकिन उसने इन सब के बीच शांति देने का वादा किया है l