मेरे किसी दूसरे देश में छुट्टी पर होने के समय, जब एक जेबकतरे ने मेरा बटुआ चुराने की कोशिश की, तो यह आश्चर्य नहीं था l मैंने भूमिगत मार्ग चोरों के खतरे के विषय चेतावनी पढीं थी, इसलिए मुझे पता था कि अपने बटुए की सुरक्षा के लिए मुझे क्या करना चाहिए l लेकिन कभी ऐसा होगा इसकी मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी l
सौभाग्य से, मेरे बटुए को हथियाने वाले युवक के पास फिसलन भरी ऊँगलियाँ थीं, इसलिए बटुआ धरती पर गिरा जहाँ से मैं उसे उठा सकता था l लेकिन इस घटना ने मुझे याद दिलाई कि मुझे उन चेतावनियों पर ध्यान देना चाहिए था l
हम चेतावनियों पर ध्यान देना पसन्द नहीं करते क्योंकि हमें लगता है कि वे जीवन का आनंद लेने के तरीके में खलल डालेंगे, लेकिन उन पर ध्यान देना अनिवार्य है l उदाहरण के तौर पर, यीशु ने अपने शिष्यों को परमेश्वर के आनेवाले राज्य की घोषणा करने के लिए भेजते समय उनको स्पष्ट चेतावनी दी (मत्ती 10:7) l उसने कहा, “जो कोई मनुष्यों के सामने मुझे मान लेगा, उसे मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के सामना मान लूँगा l पर जो कोई मनुष्यों के सामने मेरा इन्कार करेंगे, उस से मैं भी अपने स्वर्गीय पिता के सामने इनकार करूँगा” (पद.32-33) l
हमारे पास एक चुनाव है l, परमेश्वर ने प्रेम में होकर, हमारे लिए अनंत तक उसकी उपस्थिति में रहने के लिए एक उद्धारकर्ता और एक योजना का प्रबंध किया l लेकिन अगर हम परमेश्वर से दूर हो जाते हैं और उद्धार का उसका सन्देश और वास्तविक जीवन जो वह वर्तमान और अनंत के लिए देना चाहता है, उसको अस्वीकार करने का विकल्प चुनते हैं, तो हम उसके साथ रहने का अवसर खो देते हैं l
हम यीशु पर भरोसा करें, जिसने हमें उससे अनंत काल तक अलग होने से बचाया जो हमसे प्यार करता है और हमें बनाया है l
यीशु का तिरस्कार करना इतनी गंभीर बात क्यों हो सकती है? आपने उसकी बुलाहट का उत्तर देने के लिए कैसे चुनाव किया है?
स्वर्गिक पिता, यीशु के द्वारा उद्धार का प्रबंध करने के लिए धन्यवाद l और उसमें विश्वास करने के महत्त्व को याद दिलाने के लिए चेतावनियाँ देने के लिए भी आपको धन्यवाद l