प्रत्येक शुक्रवार की शाम, मेरा परिवार जो राष्ट्रीय समाचार देखता है वह अपना प्रसारण एक प्रेरक कहानी को हाईलाइट करके समाप्त करता है l यह हमेशा ताज़ी हवा का श्वास है l हाल ही के एक “शुभ” शुक्रवार की कहानी एक रिपोर्टर के ऊपर केन्द्रित थी जो कोविड-19 से बीमार होकर, पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी थी, और उसके बाद दूसरों की वायरस के विरुद्ध उनकी लड़ाई में सम्भवतः मदद करने के लिए प्लाज्मा दान करने का निर्णय ली थी l उस समय, न्याय समिति यह फैसला करने की कोशिश कर रही थी कि एंटीबोडी कितनी प्रभावशाली होगी l लेकिन जब हममें से अनेक खुद को असहाय महसूस किये और (सूई द्वारा) प्लाज्मा दान करने की बेचैनी के प्रकाश में भी, उसने महसूस किया कि वह “संभावित अदाएगी के लिए एक छोटी कीमत थी l”

उस शुक्रवार के प्रसारण के बाद, मेरा परिवार और मैं प्रोत्साहित महसूस हुए──हिम्मत के साथ मैं कहता हूँ आशा से भरपूर l “जो कुछ भी” की सामर्थ्य यही है जिसका वर्णन पौलुस फिलिप्पियों 4 में करता है : “जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं” (पद.8) l क्या पौलुस के मन में प्लाज्मा दान करना था? जी नहीं l लेकिन क्या उसके मन में दूसरे ज़रुरतमंदों के लिए लाभहीन कार्य थे──दूसरे शब्दों में, मसीह के समान व्यवहार? मुझे कोई शक नहीं कि उत्तर हाँ है l 

लेकिन उस आशापूर्ण समाचार का पूरा प्रभाव नहीं होता यदि वह प्रसारित नहीं होता l यह हमारा विशेषाधिकार है कि हम अपने चारों ओर “जो कुछ भी” को देखने और सुनने के लिए परमेश्वर की भलाई के साक्षी हैं और फिर दूसरों के साथ उस अच्छी खबर को साझा करें जिससे वे प्रोत्साहित हो सकते हैं l