भारत के मैसूर शहर में, ट्रेन के दो डिब्बों को नया स्वरूप देकर, और दोनों ओर से जोड़कर एक स्कूल बनाया गया है l स्थानीय शिक्षकों ने दक्षिण पश्चिम रेलवे कम्पनी के साथ एक टीम बनाकर खारिज डिब्बों को ख़रीदा और उन्हें नया स्वरुप दिया l ये इकाइयाँ वास्तव में धातु के बड़े बक्से थे, और कर्मियों द्वारा सीढ़ियाँ, फंखें, बत्तियां, और डेस्क लगाए जाने तक अनुपयोगी थे l कर्मियों ने दीवालों को भी पैंट किया और अन्दर और बाहर रंगीन भित्ति-चित्र बनाए l वर्तमान में, आश्चर्यजनक रूपांतरण के कारण, यहाँ पर साठ विद्यार्थी कक्षाओं में उपस्थित होते हैं l 

कुछ और अधिक आश्चर्यजनक होता है जब हम प्रेरित पौलुस का निर्देश “तुम्हारे मन के नए हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए” का अनुसरण करते हैं ((रोमियों 12:2) l जब हम पवित्र आत्मा को हमें संसार और उसके तरीकों से अलग करने की अनुमति देते हैं, तो हमारे विचार और दृष्टिकोण बदलने लगते हैं l हम अधिक प्रेममय, अधिक आशान्वित और आंतरिक शांति से परिपूर्ण हो जाते हैं (8:6) l  

कुछ और भी होता है l यद्यपि यह रूपांतरण प्रक्रिया अविरत है, और अक्सर रेल के सफ़र से अधिक ठहराव एवं आरम्भ होते हैं, यह प्रक्रिया हमें समझने में मदद करती है कि परमेश्वर हमारे जीवनों के लिए क्या चाहता है l यह हमें एक ऐसे स्थान पर ले जाता है जहाँ हम “परमेश्वर की . . . इच्छा अनुभव” करते हैं (12:2) l उसकी इच्छा में बारीकियां हो सकती हैं या नहीं हो सकती हैं, लेकिन इसमें हमेशा खुद को उसके चरित्र और संसार में उसके काम के साथ संरेखित करना शामिल है l 

भारत में रूपांतरित स्कूल का नाम, नली कली(Nali Kali) का मतलब हिंदी में “आनंदपूर्ण सीखना” है l किस तरह परमेश्वर की रूपांतरित करनेवाली सामर्थ्य आपको उसकी इच्छा में आनंदपूर्ण सीखने की ओर अगुवाई करती है?