2010 में, ब्लॉग “आई लाइक बोरिंग थिंग्स,” के निर्माता जेम्स वार्ड ने, “बोरिंग कांफ्रेंस” नामक एक सम्मेलन शुरू किया । यह नीरस, सामान्य और अनदेखी का एक दिन का उत्सव है । अतीत में, वक्ताओं ने व्यर्थ शीर्षको को संबोधित किया, जैसे छींकने की आवाज़ आवाज़ जो विक्रय(vending) मशीन, और आवाज़ जो 1999 के इंकजेट प्रिंटर्स निकालती हैं । वार्ड जानते हैं कि शीर्षक उबाऊ हो सकते हैं, लेकिन वक्ता एक नीरस विषय लेकर रुचिकर, अर्थपूर्ण, और यहाँ तक कि उन्हें आनंदपूर्ण’ भी बना सकते हैं ।
कई सहस्त्राब्दी पहले, सबसे बुद्धिमान राजा, सुलैमान ने, आनंद के लिए व्यर्थ और नीरस में अपनी खोज शुरू की । उसने काम किया, पशुओं के झुण्ड खरीदे, धन कमाया, गायकों को इकठ्ठा किया, इमारतें बनवायीं (सभोपदेशक 2:4-9) । इनमें से कुछ एक प्रयास सम्मानजनक थे और कुछ नहीं थे । अंततः, अर्थ खोजने के अपने प्रयास में, राजा को नीरसता/ऊब के सिवा कुछ नहीं मिला (पद.11) । सुलैमान ने एक विश्वदृष्टि को बनाए रखा जो परमेश्वर को शामिल करने के लिए मानव अनुभव की सीमाओं से परे नहीं था । अंततः, हालाँकि, उसने महसूस किया कि वह नीरसता में आनंद केवल उस समय पाएगा जब वह परमेश्वर को याद करेगा और उसकी उपासना करेगा (12:1-7) ।
जब हम अपने को ऊबाऊपन के बवंडर में पाते हैं, आइये हम अपना दैनिक लघु सम्मलेन शुरू करें, जब हम “अपने सृजनहार को स्मरण” करते हैं (पद.1)──वह परमेश्वर जो व्यर्थ में अर्थ भर देता है । जब हम उसे स्मरण करते हैं और उसकी उपासना करते हैं, हम साधारण में अचरज, उबाऊ में कृतज्ञता, और जीवन में व्यर्थ प्रतीत होनेवाली अर्थहीन चीजों में आनंद पाएंगे ।
क्यों उन चीजों में अर्थ ढूँढना कठिन लगता है जो कभी संतुष्ट नहीं कर सकती हैं? किस तरह आप परमेश्वर के प्रति अपने समर्पण और आराधना को पुनः क्रम दे सकते हैं ताकि आप उसमें अपना अर्थ प्राप्त कर सकें?
हे परमेश्वर, केवल आप ही निरस्त को अर्थ दे सकते हैं । मेरे जीवन के मामूली क्षणों को ले लें और उनमें अपना अर्थ, आनंद, और अचरज भर दें ।