रेडियो के स्वर्ण युग के दौरान, फ्रेड ऐलन (1894-1956) ने हास्यप्रद निराशा का उपयोग आर्थिक मंदी के साए में रहनेवाली पीढ़ी और युद्ध में संलग्न संसार में मुस्कराहट लाने के लिए किया । उनके हास्यभाव व्यक्तिगत दर्द से जन्मा था । तीन साल का होने से पहले अपनी माँ को खोने के बाद, उन्हें अपने पिता से अलग कर दिया गया जो नशे की लत से संघर्ष कर रहे थे । उन्होंने न्यूयॉर्क सिटी के एक व्यस्त सड़क से एक किशोर लड़के को एक यादगार के साथ बचाया, “ऐ लड़के तुम्हारे साथ क्या बात है? क्या तुम बड़े नहीं होना चाहते हो और परेशान होना नहीं चाहते हो?

अय्यूब का जीवन ऐसे परेशान यथार्थ में खुलता है । जब उसके विश्वास का आरंभिक प्रगटीकरण अंततः निराशा के सामने हार मान लेता है, उसके मित्रों ने उसके दर्द को बदतर करके उसे गुणित किया । अच्छे लगनेवाले तर्कों के साथ उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि वह अपनी गलतियों को स्वीकार कर सकता है (4:7-8) और ईश्वर के सुधार से सीख सकता है, तो वह  अपनी समस्याओं के सामने हँसने की शक्ति पाएगा (5:22) ।  

अय्यूब के “दिलासा देनेवाले” भलाई चाहते थे जबकि इतने गलत थे (1:6-12) । वे कभी भी कल्पना नहीं कर सकते थे कि एक दिन वे “ऐसे मित्रों के साथ, किसे दुश्मन की ज़रूरत हो सकती है? के उदाहरण के रूप में उपयोग किए  जाएंगे । कभी भी उन्होंने अपके लिए अय्यूब की राहत की प्रार्थना की कल्पना  नहीं की होगी, या फिर उन्हें प्रार्थना की ज़रूरत किसी भी तरह से क्यों होगी (42:7-9) । कभी भी उन्होंने कल्पना नहीं की होगी कि किस तरह वे उसका जिसने हमारे महानतम आनंद का श्रोत बनने के लिए अत्यधिक गलतफहमियों को झेला के आरोपियों का पूर्वाभास दे रहे थे ।