एक सफल व्यवसायी ने अपने जीवन के अंतिम कुछ दशक अपने विपुर संपत्ति को देने के लिए हर संभव प्रयास करते हुए बिताए। एक बहु अरबपति होकर, उन्होंने उत्तरी आयरलैंड में शांति लाने और वियतनाम की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का आधुनिकीकरण करने जैसे कई कारणों से नकद दान दिया; और मरने से कुछ समय पहले, उन्होंने न्यूयॉर्क में एक द्वीप को एक प्रौद्योगिकी केंद्र में बदलने के लिए $350 मिलियन (35 करोड़) खर्च किए। उस व्यक्ति ने कहा, “मैं जीते-जी देने में दृढ़ विश्वास रखता हूं। मुझे देने में देरी करने का कोई कारण नहीं दिखता . . . l  इसके अलावा, जब आप मर चुके होते हैं तो देने की तुलना में जीने के दौरान देने में बहुत अधिक मज़ा आता है। जब आप जीते हैं तो दें—क्या अद्भुत मनोभाव है।

यूहन्ना के अंधे पैदा हुए व्यक्ति के विवरण में, यीशु के शिष्य यह निर्धारित करने की कोशिश कर रहे थे कि “किसने पाप किया” (9:2)। यीशु ने संक्षेप में उनके प्रश्न का उत्तर यह कहकर दिया, “न तो इस ने पाप किया था, न  इसके माता-पिता ने . . . परन्तु यह इसलिये हुआ कि परमेश्वर के काम उस में प्रगट हों। जिसने मुझे भेजा है, हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है” (पद.3-4) l यद्यपि हमारा कार्य यीशु के आश्चर्यकर्मों से बहुत अलग है, चाहे हम अपने आप को कितना भी दे दें, हमें इसे एक तैयार और प्रेमपूर्ण आत्मा के साथ करना है। चाहे हमारे समय, संसाधनों, या कार्यों के माध्यम से, हमारा लक्ष्य यह है कि परमेश्वर के कार्यों को प्रदर्शित किया जा सके।

क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने दिया। बदले में, जब तक हम जीते हैं, दें।